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एक पेड़ देश के नाम, बने जन-जन का अभियान; स्वयंसेवकों ने बीजारोपण कर लिया संकल्प

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उदयपुर. पर्यावरण संरक्षण गतिविधि राजस्थान क्षेत्र संयोजक विनोद मेलाना ने कहा कि हमें प्रकृति के संरक्षण के लिए स्वप्रेरित होकर आगे आना होगा एवं एक पेड़ देश के नाम अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में अपना सहयोग करना होगा.

वे सोमवार को उदयपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष विशेष में बीजारोपण से पौधारोपण संकल्प कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे. मेलाना ने आह्वान किया कि घर-घर नर्सरी एवं बीजारोपण से पौधारोपण अभियान को भी हमें आगे पहुंचाना है. इसकी शुरुआत हम अपने घर से करें, अपने मोहल्ले से करें, अपने शहर से करें. पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण हो, जल का संरक्षण हो और पॉलिथीन मुक्त शहर बने, इसके लिए हम सबको आगामी 14 जनवरी, 2024 तक बीजारोपण से पौधारोपण अभियान को तेज गति से आगे बढ़ाना है. इसके लिए स्वयं से शुरुआत करते हुए हमारे घर में आने वाली सब्जी एवं फल के बीजों को एकत्र कर घर के गमलों में रोपण करना है. वर्ष पर्यंत उसे पानी देकर पौधे के रूप में संवर्धित करना है. एक साल में जब वह पौधा बड़ा हो जाएगा, तब उसे अपने घर के समीप पार्क में रोपें. प्रत्येक घर से कम से कम 10 बीजों का रोपण किए जाने का लक्ष्य होना चाहिए. एक परिवार कम से कम 100 परिवारों से संपर्क कर उन्हें बीजारोपण से पौधारोपण के अभियान को गति देने के लिए प्रेरित करे. उन्होंने बताया कि यह अभियान पूरे भारतवर्ष में 14 जनवरी, 2023 से प्रारंभ हुआ था.

उन्होंने बताया कि पौधारोपण करना और उसकी संभाल करना विज्ञान सम्मत है. जब हम अवसाद ग्रस्त (डिप्रेशन, एंजाइटी) में होते हैं, तब चिकित्सक हमें बागवानी (गार्डनिंग) करने का भी सुझाव देते हैं. सार यह है कि जब विकास के क्रम को हम अपने हाथों से संजोते हैं तो मन में प्रसन्नता का भाव आता है, जिससे तनाव दूर होता है और प्रकृति सम्मत चलने का मन बनने लगता है. प्रकृति से जुड़ाव सभी रोगों का समाधान है. जब व्यक्ति प्रकृति को अपने हाथों संजोने लगता है तो वह स्वतः ही उसकी रक्षा के लिए भी संकल्पबद्ध होता है.

संकल्प कार्यक्रम के तहत 219 शिक्षार्थियों को मिट्टी से भरे सकोरे दिए गए. उन्होंने इन मिट्टी के सकोरे में दो बीजों का रोपण किया. 20 दिन शिक्षार्थी उसमें पानी देंगे और वर्ग समापन पर सकोरे अपने घर ले जाकर उन्हें गमले में रोपित करेंगे. प्रतिवर्ष प्रताप जयंती पर अपने द्वारा रोपे गए पौधे का जन्मदिन भी मनाया जाएगा.

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