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जनजातीय जीवन मूल्यों की रक्षा से ही होगा समरस समाज व समृद्ध राष्ट्र का निर्माण

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नई दिल्ली। पश्चिमी दिल्ली के आर्यसमाज मंदिर रानीबाग के सत्संग भवन में श्री अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ के तत्वाधान में आयोजित 42वें वैचारिक क्रांति शिविर में विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि जनजातीय समाज के जीवन मूल्यों की रक्षा से ही समरस समाज के साथ समृद्ध राष्ट्र का निर्माण हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम 14 वर्ष के वनवासी जीवन की पूर्णता पर ही भगवान श्री राम बने। 13 वर्ष के वनवास व एक वर्ष के अज्ञात वास के बाद ही पांडव महाभारत को जीत पाए। वनांचल में रहने वाले जनजातीय समाज की समृद्ध प्राचीन परंपराओं ने ही देश को भगवान् बिरसा मुंडा, सिद्धु-कान्हु, टंट्या भील, भीमा नायक, रानी गाइडिन्ल्यू और लक्ष्मण नायक जैसे अनेक वीर वीरांगनाएं विद्वान् व महापुरुष दिए। हमें इन परंपराओं पर गर्व है। ऐसे शिविरों में सीखे यम नियम, आसन प्राणायाम, ध्यान व राष्ट्रधर्म के प्रति समर्पण की भावना ही हमें बड़ा और महान् बनाती है।

असम, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, राजस्थान, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड आदि राज्यों के वनवासी, गिरिवासी व जनजातीय क्षेत्रों से आए 150 छात्र छात्राओं के साथ लगभग एक सौ बालवाड़ी शिक्षकों के सप्ताह भर चलने वाले शिविर के तीसरे दिन ओजस्वी संत श्री स्वामी सच्चिदानंद ने उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराया।

दर्शनाचार्य विमलेश आर्या ने काव्यमयी प्रश्नोत्तरी द्वारा बच्चों को खेल -खेल में ही महत्वपूर्ण जानकारी दी, स्वरचित पुस्तक ‘दयानंद मंजरी’ भी विजेता बच्चों में वितरित की।

आचार्य जीववर्धन, स्वामी विश्वामित्र जी भी मंच पर शोभायमान रहे। भजन गायक विनोद आर्य के प्रेरक मधुर भजन भी हुए।

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