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लोकमाता अहिल्यादेवी के समग्र जीवन में केवल पुण्य विद्यमान – भय्याजी जोशी

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जयपुर, 09 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने कहा कि लोकमाता अहिल्यादेवी के समग्र जीवन में पुण्य के अलावा कुछ भी नहीं है, इसलिए वे पुण्यश्लोका हैं। एक सूबे का कार्य संभालने वाली इतिहास में एकमात्र ऐसी व्यक्तित्व हैं, जिन्हें देवी कहा गया। उनका जीवन और आचरण नर्मदा के जल के समान शुद्ध और पारदर्शी था। वे शिव भक्त थीं। उन्होंने जब महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया, तो तुलसी पत्र रखकर प्रवेश किया। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महेश्वर में कपड़ा उद्योग की स्थापना की। महेश्वर की साड़ियां आज भी इसकी साक्षी हैं। उन्होंने कहा कि वे भले ही मालवा की शासक थीं, लेकिन उनकी दृष्टि राष्ट्रीय थी। उन्होंने अपने राज्य की सीमा के बाहर भी मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया, घाट बनवाए, अन्न सत्र और सदावर्त चलाए। उन्होंने 60 हजार महिलाओं की सेना तैयार की। उनकी राजनीतिक सूझबूझ अद्भुत थी।

भय्याजी जोशी पुण्यश्लोका रानी अहिल्यादेवी होलकर के त्रिशताब्दी जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में बुधवार को बिड़ला सभागार, जयपुर में आयोजित समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। समारोह का आयोजन विश्वमांगल्य सभा एवं राजस्थान सरकार के सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उप-मुख्यमंत्री दीया कुमारी, सांसद मनोज तिवारी ने भी अपने विचार रखे।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर के कर्तृत्व प्रकाश डाला और उनके द्वारा सामाजिक व नारी सशक्तिकरण के लिए किए कार्यों का उल्लेख किया।

उप-मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि अहिल्यादेवी ने अपने शासनकाल में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, उन्हें आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिलवाया और स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया।

सांसद मनोज तिवारी ने लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर का स्मरण करते हुए ‘जो दीप जलाया मां अहिल्या ने, उसकी लौ को बढ़ाना होगा। उसी दीये से और दीया, मिलकर जलाना होगा’ कविता के माध्यम से उनकी स्तुति की।

विश्वमांगल्य सभा की राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री पूजा देशमुख ने कहा कि समारोह का उद्देश्य रानी अहिल्यादेवी होलकर के जीवन, उनके शासनकाल, सामाजिक कार्यों और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना है। विश्वमांगल्य सभा महिलाओं द्वारा संचालित संगठन है जो महिलाओं के बीच काम करते हुए देश को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए कृत संकल्पित है।

राष्ट्रसमर्था अहिल्यादेवी की पुण्यगाथा नाटक का मंचन

इस अवसर पर अहिल्यादेवी के जीवन पर आधारित नाटक राष्ट्रसमर्था अहिल्यादेवी की पुण्यगाथा का भव्य मंचन हुआ, जिसे नागपुर, महाराष्ट्र से आए 40 कलाकारों ने अपने अभिनय से जीवंत बना दिया। मातृत्व को समर्पित संस्था विश्वमांगल्य सभा द्वारा देश के 101 जिलों में नाटक के मंचन की योजना है। यह नाटक सर्वप्रथम काशी के नमो घाट पर मंचित हुआ था, जिसमें लगभग 5 हजार लोगों की उपस्थिति रही थी। जयपुर इसका 30वां पड़ाव था। नाटक की स्क्रिप्ट संस्था की राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. वृशाली जोशी ने लिखी है।

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