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ऑपरेशन सिंदूर और विपक्ष का शल्यवाद

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महाभारत संग्राम में एक सिद्धांत निकल कर आया ‘शल्यवाद’। माद्रीपुत्र नकुल-सहदेव के मामा माद्रा (मद्रदेश) के राजा शल्य थे। महाभारत में पाण्डवों के पक्ष में युद्ध करने आए शल्य का दिल अतिथि सत्कार से जीत कर दुर्योधन ने छल से उन्हें अपने खेमे में कर लिया। उन्होंने कर्ण का सारथी बनना स्वीकार किया और कर्ण की मृत्यु के पश्चात् युद्ध के अंतिम दिन कौरव सेना का नेतृत्व भी किया और युधिष्ठिर के हाथों वीरगति को प्राप्त हुए। वे कर्ण के सारथी तो बन गए, किन्तु उन्होंने युधिष्ठिर को यह भी वचन दिया कि वे चाहे खड़े कौरव सेना के साथ दिखेंगे, परन्तु युद्ध पाण्डवों के पक्ष में ही लड़ेंगे। इसलिए अपने वचनों से कौरवों को ही हतोत्साहित करना शुरू किया। अपने ही लोगों का मनोबल तोड़ने की नीति ‘शल्यवाद’ कहलाती है।

वर्तमान में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का विपक्ष भी इसी शल्यवादी की नई परिभाषा लिखता दिखाई दे रहा है। भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ चलाए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विपक्षी दलों ने चाहे देश व सरकार के साथ एकजुटता जताने की बात कही, परन्तु पूरे ऑपरेशन के दौरान विपक्षी नेताओं की कंटीली जिव्हा देश को मर्माहत करती रही।

‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर सरकार को समर्थन देने वाली कांग्रेस ने ‘ऑपरेशन’ के स्थगित होने के बाद जो कुछ कहा, वह सब कुछ उसकी एकजुटता की प्रतिबद्धता के विपरीत दिखाई देता है। ऑपरेशन स्थगित होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, विपक्ष के नेता राहुल गांधी तथा अन्य नेताओं ने जो कहा, वह दुश्मन देश को सांत्वना देने वाला था। इसलिए वहां के मीडिया ने उसे हाथों हाथ लपका।

खड़गे ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को एक छोटी-मोटी झड़प बताया। राहुल गांधी ने तो यहां तक पूछा कि हमने कितने भारतीय विमान गंवा दिए क्योंकि पाकिस्तान को पहले से पता था। उन्होंने कहा कि देश को सच जानने का पूरा हक है।

कांग्रेस और राहुल गांधी ने जयशंकर के एक बयान का वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया कि पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमलों से पहले, भारत सरकार ने पाकिस्तान को इस बारे में सूचित किया था। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने इस तरह के दावों को गलत बताया।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश मंत्री के बयान पर कुछ सवाल पूछे हैं। यह बहुत अहम है, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग-अलग देशों में एक बात दोहराते रहे कि उन्होंने युद्ध रुकवाने के लिए मध्यस्थता की। ट्रंप ने एक बहुत खौफनाक बात यह भी बोली कि उन्होंने भारत को व्यापार रोकने की धमकी देकर युद्ध रुकवाया। यानी ‘सिन्दूर का सौदा’ होता रहा, प्रधानमंत्री चुप रहे। विदेश मंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा है।

‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के स्थगित होने के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र बीकानेर के पलाना में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि अब हर आतंकी हमले की पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और यह कीमत पाकिस्तान की सेना और उसकी अर्थव्यवस्था चुकाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान के साथ न ट्रेड होगा, न टॉक, अब तो सिर्फ पीओजेके पर बात होगी। उन्होंने साफ कहा कि भारतीयों के खून से खेलना पाकिस्तान को अब महंगा पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर भावनाओं को स्वयं रचित कविता में किया –

जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिलाया है।

जो हिंदुस्तान का लहू बहाते थे, उनसे हर कतरे का हिसाब चुकाया है।

जो सोचते थे भारत चुप रहेगा, आज वो घरों में दुबके पड़े हैं।

जो अपने हथियारों पर घमंड करते थे, आज वो मलबे के ढेर में दबे हुए हैं।

यह शोध-प्रतिशोध का खेल नहीं, यह न्याय का नया स्वरूप है।

यह ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ है।

यह सिर्फ आक्रोश नहीं है, यह समर्थ भारत का रौद्र रूप है।

यह भारत का नया स्वरूप है।

पहले घर में घुसकर किया था वार, अब सीधा सीने पर किया है प्रहार।

आतंक का फन कुचलने की, यही नीति है, यही रीति है,

यही भारत है, नया भारत है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि मोदी जी, हल्के भाषण देना बंद कीजिए। आपने भारत के सम्मान के साथ समझौता किया है। आपने ट्रंप के आगे झुककर भारत के हितों का त्याग क्यों किया? आतंकवाद पर पाकिस्तान के बयान का आपने भरोसा क्यों कर लिया? इससे पहले कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने एक प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री के भाषण पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने एक बार फिर फिल्मों की तरह खोखले डायलॉग का सहारा लिया है।

देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उसके नेताओं के जो बयान आ रहे हैं, वह देशहित में हैं क्या? यह विपक्ष की शल्यवादी नीति नहीं तो और क्या है? दुश्मन देश पाकिस्तान विपक्षी दलों के नेताओं विशेषतः कांग्रेस व उसके नेताओं द्वारा दिए बयानों को आधार बनाकर अपने हित में उनका प्रयोग कर रहा है। शायद कांग्रेस को यह आशंका है कि राजनीतिक रूप से ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की सफलता का श्रेय मोदी व उनके सहयोगी भाजपा लेगी, पर क्या कांग्रेस यह बताने का प्रयास करेगी कि 1971 में पाकिस्तान पर हुई भारत की ऐतिहासिक जीत का श्रेय इंदिरा गांधी को क्यों देते रहे हैं? क्यों उसका इको सिस्टम अटल बिहारी वाजपेयी के मुंह से इंदिरा को जबरन ‘दुर्गा’ कहलवाता रहा है? काठ की हाण्डी एक बार आंच पर चढ़ती है, बार-बार नहीं, शल्यवाद भी अब दोबारा चलने वाला नहीं है।

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