नई दिल्ली। छोटा हो या बड़ा, हर नागरिक सीमाओं की सुरक्षा में अपना योगदान दे सकता है। देशभक्ति और सेवा की भावना उम्र की मोहताज नहीं होती।
पंजाब के फिरोजपुर जिले का 10 वर्षीय श्रवण सिंह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना का सबसे छोटा सिपाही बनकर उभरा। जब गांव में युद्ध का माहौल था और लोग भयभीत थे, तब श्रवण ने सैनिकों की सेवा का संकल्प लिया। वह प्रतिदिन सैनिकों के लिए पानी, दूध, लस्सी और बर्फ लेकर जाता, जिससे उन्हें गर्मी में राहत मिलती। उसकी इस निःस्वार्थ सेवा और साहस को भारतीय सेना ने सराहा और 27 मई 2025 को एक विशेष समारोह में उसे सम्मानित किया। सेना के अधिकारियों ने उसे स्मृति चिन्ह, विशेष भोजन और उसकी पसंदीदा आइसक्रीम भेंट की।
सेना के 7वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल रणजीत सिंह मानराल ने स्वयं उसे सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया। श्रवण मुस्कराते हुए कहता है – ‘मुझे खाना और आइसक्रीम मिली, मैं बहुत खुश हूं’। श्रवण के पिता ने बताया, सेना हमारे खेत में तैनात थी। पहले दिन से ही श्रवण जवानों की मदद करने लगा। हमने उसे रोका नहीं, बल्कि उसका उत्साह बढ़ाया। श्रवण ने कहा कि वह बड़ा होकर सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहता है।
भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित पंजाब के फिरोजपुर जिले के तारा वाली गांव की धूल और गर्मी से तपती खेतों में सैकड़ों ग्रामीणों ने ऑपरेशन सिंदूर को अपनी आंखों के सामने आकार लेते देखा। गांव के खुले मैदानों में सैनिकों ने डेरा डाला था। और इसी तनावपूर्ण माहौल के बीच एक 10 वर्षीय बालक, न वर्दी, न हथियार, लेकिन हौसला बेहिसाब।
तारा वाली गांव का यह बालक न तो सैनिक था, न ही प्रशिक्षित, लेकिन समर्पण और जज्बा पूरे गांव और भारतीय सेना के लिए प्रेरणा बन गया। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर का सबसे छोटा नागरिक योद्धा’ घोषित कर सम्मानित किया है।
#OperationSindoor #IndianArmy