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ऑक्सीजन एक्सप्रेस – राज्य में कोरोना के खिलाफ जंग में महत्त्वपूर्ण चरण

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मुंबई. भारतीय रेल द्वारा ऑक्सीजन एक्सप्रेस की व्यवस्था की गई है. योग्य समय पर मिलने वाली इस सुविधा के कारण राज्य की गंभीर स्थिति में सुधार लाने के लिये सभी राज्य सरकारों को निश्चित ही लाभ मिलेगा.

ऑक्सीजन एक्सप्रेस प्रारंभ करने का काम आसान तो बिल्कुल नहीं था, अनेक मर्यादाएँ थीं. ऑक्सीजन कम तापमान में एक खतरनाक रसायन है. इसका वहन करने के लिये रेलवे को विशेष उंचाई के टैंकर्स की आवश्यकता थी. कम ऊंचाई के रोड ओवर ब्रिजेस या कम ऊंचाई तक आने वाली ओवरहेड वायर्स को टालना संभव हो, ऐसे मार्ग चुनना आवश्यक था. इसी के साथ ऑक्सीजन लदी ट्रेन की स्पीड बढ़ाना या कम करना के लिये भी कठोर प्रोटोकॉल बनाए गए थे.

विशेष बात यह कि ये सब व्यवस्थाएं दो दिनों में की गईं, तीसरे दिन ट्रायल किया गया और मेडिकल ऑक्सीजन के वहन (ट्रान्सपोर्टेशन) की समस्या का हल निकालकर पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस मुंबई और विशाखापटनम के बीच चल पड़ी.

१९ अप्रैल को पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस कलंबोली से निकल पड़ी. कलंबोली और विशाखापटनम का अंतर १८५० किमी से भी अधिक है. यह अंतर इन टैंकरों ने केवल ५० घंटों में पार किया. सात टैंकरों में १०० टन द्रवरूप मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) दस घंटों में भरा गया और २१ घंटों में नागपुर पहुँचाया गया. इनमें से तीन टैंकर नागपुर में उतारे गए और चार अगले १२ घंटों में नासिक लाए गए.

रेलवे द्वारा वेगवान विकल्प देकर इन टैंकरों की यात्रा केवल तीन दिन में पूरी हुई. सामान्यतः उस स्वरूप के एलएमओ की यात्रा में लगभग सात दिन बीत जाते हैं. ट्रेन की गति को मॉनिटर किया जा रहा था और गतिवान वहन के लिये ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया गया था.

राज्य सरकार द्वारा निवेदन करते ही रेलवे ने अलग-अलग जगहों पर तत्काल एलएमओ टैंकर्स के वहन के लिये रैम्प्स बना दिये. 15 अप्रैल को राज्य सरकार के निवेदन के बाद कलंबोली में 24 घंटों के अंदर रैम्प बनाए गए. एक तरफ रैम्पस बनाने का कार्य शुरू हो गया तो दूसरी तरफ केवल दो ही दिनों में मार्ग की प्लानिंग की गई. मार्ग पर्वतीय क्षेत्र को टाला गया. ऊंचाई, सुरंग, प्लैटफॉर्म ऊंचाई की मर्यादा के कारण ट्रेन वसई, सूरत, भुसावल, नागपुर मार्ग से लाने का निश्चय किया. पर्वतीय क्षेत्रों में ओवर डायमेन्शनल कार्गो को अनुमति न होने के कारण वसई का लंबा मार्ग चुनना पड़ा.

फ्लैट वैगनों पर 3320 मिमि ऊंचाई के T1618 रोड टैंकर ले जाना संभव था. लगभग 12 टैंकर्स इंडस्ट्रीयल स्रोतों द्वारा बनाए गए, उसमें से केवल सात ही ऊंचाई के अनुसार उपयुक्त मिले. बोईसर में 18 अप्रैल को परीक्षण किया गया और 19 अप्रैल को ऑक्सीजन एक्सप्रेस निकली.

ऑक्सीजन एक्सप्रेस की सफलता देख उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश और दिल्ली ने भी रेलवे को को निवेदन किया और 22 अप्रैल को एलएमओ एक्सप्रेस लखनऊ और बोकारो के बीच दौड़ी.

ऑक्सीजन एक्सप्रेस के अलावा रेलवे ने आइसोलेशन व कोविड केयर के लिए तैयार कोच विभिन्न राज्य सरकारों को प्रदान किए हैं.

इसके साथ ही रेलवे ने दिल्ली और मुंबई के बीच 12 से 23 अप्रैल के बीच 106 विशेष ट्रेनें चलाईं. पूरे भारत में रेलवे द्वारा 328 अतिरिक्त ट्रेनें चलाई गई, जिन्होंने 664 अतिरिक्त यात्राएँ की. 2021 में जनवरी से अप्रैल के समय में सामान का वहन करने वाली ट्रेनों की यात्राओं में भी 74 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

 

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