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पद्मश्री तुलसी गौड़ा ‘इनसाइक्‍लोपीडिया ऑफ फॉरेस्‍ट’

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नई दिल्ली. पद्म पुरस्कार से सम्मानित कर्नाटक निवासी तुलसी गौड़ा हलक्की स्वदेशी जनजाति से संबंध रखती हैं. उन्‍हें पर्यावरण की सुरक्षा में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. नंगे पैर रहने वाली और जंगल से जुड़ी तमाम जानकारियां रखने वालीं तुलसी गौड़ा हजारों पौधे लगा चुकी हैं. उन्हें ‘इनसाइक्‍लोपीडिया ऑफ फॉरेस्‍ट’ (वन का विश्वकोश) के रूप में जाना जाता है. ऐसा पेड़-पौधों व जड़ी-बूटियों की विविध प्रजातियों के उनके विस्तृत-ज्ञान के कारण है.

हजारों पौधे लगाने के साथ ही कर्नाटक के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की नर्सरियों का ध्यान रखती हैं. उन्होंने कहीं पर भी सामान्य शिक्षा नहीं ली है. बावजूद इसके जंगल में पेड़-पौधों की प्रजातियों के बारे में काफी जानकारी है. तुलसी गौड़ा पिछले 6 दशकों से पर्यावरण सुरक्षा का अलख जगा रही हैं.

गरीब परिवार से संबंध रखने वाली तुलसी गौड़ा प्रकृति के संरक्षण को लेकर काफी सजग हैं. वह पारंपरिक पोशाक पहनती हैं. उनका परिवार इतना गरीब है कि वे पढ़ भी न पाईं. उनके यहां जीविका चलाना भी मुश्किल भरा होता है. ऐसे में उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की.

72 साल की उम्र में भी, तुलसी गौड़ा पर्यावरण संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए पौधों का पोषण करना और युवा पीढ़ी के साथ अपने विशाल ज्ञान को साझा करना जारी रखे हुए हैं. तुलसी गौड़ा एक गरीब और सुविधाओं से वंचित परिवार में पली-बढ़ीं. बावजूद इसके उन्‍होंने जंगल का जैसे पालन-पोषण किया है.

जब वह सम्मान लेने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंची तो उनके शरीर पर पारंपरिक धोती थी और पैरों में चप्पल तक नहीं थी. कार्यक्रम मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से उनका सामना हुआ तो दोनों ने उनकी उपलब्धि का सम्मान करते हुए उन्हें नमस्कार किया. यह तस्वीर अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है.

 

 

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