करंट टॉपिक्स

पंचगव्य चिकित्सा को बनाया जाए चिकित्सा पद्धति का अंग

Spread the love

भोपाल। गौ सेवा गतिविधि भोपाल विभाग द्वारा वनवासी कल्याण आश्रम में “पंचगव्य के चिकित्सकीय महत्व” पर प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वैद्य हितेश जानी (भूतपूर्व प्राचार्य, गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर) ने पंचगव्य के चिकित्सकीय लाभों पर शोध-आधारित और तथ्यपरक जानकारी साझा की।

वैद्य हितेश जानी ने देशी गौ वंश और जर्सी गाय के बीच वैज्ञानिक अंतर को सरल शब्दों में समझाया व पंचगव्य पर हो रहे विभिन्न अनुसंधानों की जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से गौ घृत के चिकित्सकीय लाभों पर प्रकाश डाला, जिसमें अपस्मार (Epilepsy), नेत्र रोग और गुड कोलेस्ट्रॉल पर सकारात्मक प्रभावों की व्याख्या की। वैद्य ने बताया कि आधुनिक विज्ञान भी अब पंचगव्य के महत्त्व और इसके वैज्ञानिक पहलुओं को मान्यता देने लगा है। वैद्यों से आग्रह किया कि वे शास्त्र का अध्ययन करने के साथ-साथ अनुसंधान की दृष्टि भी विकसित करें।

वैद्य हितेश जानी पिछले आठ वर्षों से पाकिस्तान सीमा से लगे कच्छ क्षेत्र के जिलों में पंचगव्य के उपयोग पर स्थानीय नागरिकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। अभियान के अंतर्गत अब तक 1800 से अधिक नागरिक लाभान्वित हो चुके हैं।

कार्यक्रम में गौ सेवा गतिविधि के क्षेत्र संयोजक विलास गोले जी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चल रही गौ सेवा गतिविधियों पर विस्तार से जानकारी दी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वैद्य मधुसूदन देशपांडे ने कहा कि, “पंचगव्य का आयुर्वेद में प्राचीन काल से व्यापक उपयोग रहा है, किंतु इसके प्रति जागरूकता का अभाव वैद्यों में देखा जाता है। पंचगव्य को अपनी चिकित्सा पद्धति का अनिवार्य अंग बनाना चाहिए”।

कार्यक्रम का संचालन गौ सेवा गतिविधि के पंचगव्य चिकित्सा प्रमुख वैद्य शैलेश मानकर ने किया और आभार गौ सेवा गतिविधि भोपाल विभाग संयोजक डॉ. अजय गोदिया ने व्यक्त किया। इस अवसर पर भोपाल एवं आसपास के जिलों से आए 150 से अधिक वैद्य, आयुर्वेद महाविद्यालयों के प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *