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अयोध्या धाम की तीर्थयात्रा – छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

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रायपुर. हर साल 20 हजार श्रद्धालुओं को अयोध्या धाम की तीर्थयात्रा पर ले जाने के राज्य सरकार के निर्णय योजना को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया. याचिका में 10 जनवरी के राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि श्री रामलला दर्शन (अयोध्या धाम) योजना राज्य मंत्रिमंडल का नीतिगत निर्णय था और यह राज्य में सत्ता में आने से पहले भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणापत्र में था.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने 14 मार्च को पारित आदेश में कहा, “यह योजना मूल रूप से गरीब लोगों के लिए है और सभी के लिए खुली है. याचिकाकर्ता यह प्रदर्शित करने में विफल रहा है कि यह योजना हिंदुओं के अलावा अन्य आस्था के लोगों को उक्त योजना में भाग लेने या लाभ उठाने से रोकती है. इसके अलावा, यह योजना राज्य के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को किस प्रकार नुकसान पहुंचाएगी, यह भी नहीं बताया गया है”.

न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता लखन सुबोध एक राजनीतिक व्यक्ति रहे हैं और पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसे राजनीतिक दलों से जुड़े थे.

याचिका कुछ निजी या राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश के सिवा और कुछ नहीं लगती है, हालांकि याचिकाकर्ता का दावा है कि वर्तमान में वह किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा है. इसके बावजूद यह बात पूरी तरह से तय है कि राज्य के नीतिगत फैसले में सामान्य तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्य सरकार की योजना भारत के संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है. तर्क दिया गया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, जिसमें कोई राज्य धर्म नहीं है, एक निर्वाचित सरकार एक विशेष धार्मिक समुदाय को तीर्थयात्रा के लिए ले जाने का निर्णय लेती है और उसी के लिए लागत वहन करती है, तो राष्ट्र की धर्मनिरपेक्ष संरचना के खिलाफ होगा.

पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि जो योजना चुनौती में है, वह राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है क्योंकि सत्ता में आने से पहले ही सत्तारूढ़ दल ने अपने घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ के अधिवास को तीर्थयात्रा के लिए अयोध्या ले जाने का वादा किया था.

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