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ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से बचने हेतु पौधरोपण आवश्यक – हिमांशु मिश्रा

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मातृवन्दना संस्थान ने टूटीकंडी के गीतानगर में लगाए 70 से अधिक पौधे

शिमला. ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों का सामना करने के लिए पौधारोपण अति महत्वपूर्ण है. मातृवन्दना संस्थान हिमाचल प्रदेश द्वारा शिमला के टूटीकंड़ी वार्ड के गीता नगर में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आईजी सेवानिवृत व राष्ट्रपति पुलिस सेवा पदक से सम्मानित हिमांशु मिश्रा उपस्थित रहे. उन्होंने कहा कि मानव का वृक्षों से, वनस्पतियों से बहुत पुराना नाता है. वृक्ष के बारे में कहते हैं कि वृक्ष में वह शक्ति है कि इसके नीचे कोई बुद्ध बन जाता है, कोई न्यूटन बन जाता है. हमारे वेदों, उपनिषदों व पुराणों की रचना प्राकृतिक वातावरण, जगलों व वनों में हुई है. आज के युग में ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी चुनौती उभर कर सामने आई है. ग्लोबल वार्मिंग का असर हिमाचल की चोटियों पर लैंड स्लाइड और बाढ़ के रूप में देखा जा सकता है. हाल ही प्रदेश में ऐसी घटनाएं हुई हैं, यह उसी का परिणाम हैं. समय-समय पर जो वृक्षों का कटाव हुआ है, उसी का परिणाम आज मानव को भुगतना पड़ रहा है. प्रदेश में 66 प्रतिशत वन हैं, जिसमें से 26 प्रतिशत पर ही वृक्ष लगे हैं. ऐसे में पौधारोपण कार्यक्रमों की आवश्यकता कहीं ज्यादा नजर आती है. मातृवन्दना संस्थान द्वारा आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में मुझे शामिल होने का अवसर मिला है, मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं.

मातृवन्दना संस्थान के अध्यक्ष अजय सूद ने बताया कि मातृवन्दना संस्थान प्रतिमाह जागरण पत्रिका का प्रकाशन करता है. प्रदेश के 16 हजार गांवों में से 10 हजार गांवों में मातृवन्दना पत्रिका के पाठक हैं और आगामी 2 वर्षों में शेष 6 हजार गांवों तक पत्रिका पहुंचाने का लक्ष्य है. प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए मातृवन्दना संस्थान बीते कई वर्षों से लगातार पौधारोपण कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है. जिसका उद्देश्य न केवल पत्रिका से जुडे़ लोगों को प्रकृति संरक्षण के साथ जोड़ना है, बल्कि आमजन को भी इसमें सहभागी बनाना है.

कार्यक्रम का शुभारंभ पौधे व औजारों की पूजा के साथ हुआ. ब्रह्मकुमारी संस्थान शिमला केन्द्र की दीदी सुनीता, शिमला शहर की पूर्व महापौर कुसुम सदरेट बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहीं.

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