करंट टॉपिक्स

ऐतिहासिक बावड़ी के संरक्षण के लिए श्रमदान का संकल्प

Spread the love

उदयपुर. पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अंतर्गत “मेरी धरोहर, मेरी शान” अभियान के तहत गोगुन्दा स्थित प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली पर स्थित 15वीं शताब्दी की ऐतिहासिक बावड़ी में समाजजनों ने श्रमदान किया.

यह बावड़ी जल संरक्षण हेतु प्रयुक्त प्राचीन ज्ञान का परिचायक है, यह बावड़ी भारतीय स्थापत्य कला को प्रदर्शित करती एक अद्वितीय धरोहर है. रखरखाव के अभाव में यह ऐतिहासिक बावड़ी क्षतिग्रस्त हो गई, इसके संरक्षण के लिए समाजजन ने श्रमदान कार्य शुरू किया. बावड़ी में पड़ी मिट्टी पत्थरों को बाहर निकाला. प्रत्येक रविवार को बावड़ी पर श्रमदान कर इस ऐतिहासिक बावड़ी को संरक्षित करने का समाज ने संकल्प लिया.

प्रांत पर्यावरण संयोजक कार्तिकेय नागर ने बताया कि ये प्राचीन बावड़ियां हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर हैं तथा जल संरक्षण व शुद्ध पेयजल का सर्वोत्तम प्राकृतिक स्रोत हैं. जल बचाने के लिए सभी को मिलजुलकर प्रयास करने होंगे.

पर्यावरण प्रेमी जसवंत पुंडीर ने प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में बताया. मिट्टी में दबने से यह नष्ट तो नहीं होता, लेकिन कई मायनों में यह धरा की आत्मा को ही समाप्त कर देता है. सीधे तौर पर यह मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को नष्ट कर रहा है. प्लास्टिक के निस्तारण के लिए स्कॉर्पिक्स बनाने की जानकारी दी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *