जोधपुर. राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण की राह पर चल रही है. यह सरकार के निर्णयों से स्पष्ट दिख रहा है. मजहबी शिक्षा देने वाले मदरसों को सरकारी पैसे पर फलने फूलने का अवसर देने के लिए मदरसा बोर्ड के गठन के बाद अब मनमाने तरीके से उन्हें जल स्रोतों की जमीन भी आवंटित की जा रही है. सरकार के निर्णय के विरोध में विभिन्न संगठनों ने आवाज उठाना प्रारंभ कर दिया है.
ताजा मामला जोधपुर तहसील के राजवा गांव का है. गांव के खसरा नंबर 225, रकबा 470.16 बीघा में गैर मुमकिन पहाड़ स्थित है, जो राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत प्रतिबंधित भूमि है, जिसका किसी प्रयोजन के लिए आवंटन नहीं किया जा सकता. खसरा नंबर 225 एवं 227 की भूमि खसरा नंबर 228 में स्थित गैर मुमकिन तालाब के कैचमेंट एरिया में आते हैं और तालाब में पानी की आवक का एकमात्र स्रोत है.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित निर्णय जगपाल सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब व उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय श्री गुलाब कोठारी बनाम राजस्थान राज्य के निर्देशानुसार प्राकृतिक जल स्रोत, कैचमेंट एवं पहाड़ी क्षेत्र की भूमि किसी भी प्रकार से आवंटन के योग्य नहीं है. लेकिन सरकार ने 9 अप्रैल, 2021 को एक बैठक में प्रस्ताव संख्या 5 द्वारा खसरा संख्या 225 ग्राम राजवा की भूमि इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम फलाहे दारेन को आवंटित करने की अनुशंषा की जो पूर्णतया गैर कानूनी है.
जानकारी सामने आने के बाद विश्व हिन्दू परिषद सहित 25 से अधिक संगठनों ने प्रशासन को ज्ञापन देकर जमीन आवंटन का विरोध किया है. पोपावास के सरपंच रामचंद्र चौधरी का कहना है कि सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण करने से बाज नहीं आ रही. नियमों के विरुद्ध जमीन आवंटन गलत है. इससे सभी ग्रामीणों में आक्रोश है. यदि समय रहते सरकार ने यह आवंटन रद्द नहीं किया तो आसपास के गांव के लोग मिलकर आंदोलन करेंगे.
पूनिया की प्याऊ सरपंच राजकुमार ने बताया कि इस जमीन से तालाबों में पानी आता है. ये तालाब जमीन के जल स्तर को नीचे नहीं जाने देते और न जाने कितने पक्षियों और पशुओं की प्यास बुझाते हैं. पास में गांव के ऐतिहासिक पाबूजी महाराज का पवित्र स्थान है. इस तरह असंवैधानिक रूप से जमीन आवंटन का हम सब ग्रामवासी विरोध करते हैं.
आवंटन के विरोध में 10 से अधिक ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को ज्ञापन सौंपे, जिनमें कहा गया कि जेडीए द्वारा जिस संस्था को भूमि आवंटित की जा रही है, वह संस्था अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के अनुसार शिक्षण संस्था की श्रेणी के अंतर्गत नहीं आती है. उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय राजस्थान निजी शिक्षण संस्था बनाम भारत संघ के अनुसार मदरसा शिक्षण संस्था नहीं है. मदरसा का प्रयोजन इस्लाम की शिक्षा देने मात्र से है, इसलिए ऐसे मजहबी संस्थानों को शिक्षण संस्था के लिए भूमि आवंटित किया जाना कतई स्वीकार्य नहीं है. यदि यह आवंटन निरस्त नहीं किया जाता है तो व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा एवं जन आक्रोश के परिणाम सरकार को भुगतने होंगे.