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सकारात्मक पहल – हरियाणा में ब्लैक फंगस पर वेबिनार का आयोजन

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ब्लैक फंगस नहीं है कोई नई बीमारी, सावधानी रख कर कर सकते है बचाव : डॉ. मार्कण्डेय आहूजा

चंडीगड़. कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (हरियाणा) ने सकारात्मक पहल करते हुए काली फफूंदी (ब्लैक फंगस) को लेकर जागरूकता के लिए ऑनलाइन “वेबिनार” का आयोजन किया. वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. मार्कण्डेय आहूजा (नेत्र रोग विशेषज्ञ) (MBBS,MS,PhD, FCLI  FIAMS ), कुलपति, गुरुग्राम विश्वविद्यालय (गुरुग्राम) उपस्थित रहे. वेबिनार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक सीताराम ब्यास, प्रान्त संघचालक पवन जिंदल, प्रान्त कार्यवाह सुभाष आहूजा सहित अन्य उपस्थित रहे.

मुख्य वक्ता डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने कहा कि ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है. यह पहले से चलती आ रही है और अगर सावधानी बरती जाए तो इसका निदान संभव है. कोविड-19 के कारण ब्लैक फंगस का फैलाव ज्यादा देखने को मिल रहा है. जिस कारण आम जनमानस को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कहा कि ब्लैक फंगस बड़ी तेजी से फैलता है. आंख-कान व नाक पर बहुत जल्दी अटैक करता है. डायबिटीज के मरीज पर ब्लैक फंगस बहुत तेज अपनी रफ्तार दिखाता है. कोविड-19 के कारण जिन मरीजों की शारीरिक क्षमता कमजोर हो जाती है, उस पर ब्लैक फंगस अपना असर दिखा सकता है.

डॉक्टर आहूजा ने बताया कि ब्लैक फंगस खून का जमाव करता है. खून की गति को जाम कर देता है, जिस कारण कई बार मरीज अंधे हो जाते हैं या फिर दिमाग काम करना बंद कर देता है. बहुत से केस में मरीज की मौत हो जाती है. उन्होंने ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षणों पर कहा कि इस बीमारी का निदान हो सकता है. शुरुआती दौर में ही मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए ताकि इसका इलाज शुरुआती दौर में ही हो सके. कोविड-19 के दौरान या ठीक होने के बाद कभी आपको कोई ऐसा लक्षण महसूस हो, जो शरीर में अलग तरह का आभास देता हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इलाज से भागना नहीं, बल्कि मजबूत इरादों के साथ इस बीमारी का सामना करना है.

प्रश्नों के उत्तर देते हुए डॉक्टर आहूजा ने देते हुए स्पष्ट कहा कि यदि हम शुरुआती दौर में ही इस बीमारी को पकड़ लेते हैं और इसका इलाज शुरू कर देते हैं तो निश्चित तौर पर ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है.

उन्होंने बताया कि यह संक्रमण ज्यादातर मधुमेह से पीड़ित रोगियों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को हो रहा है. जब एक मधुमेह रोगी को कोविड होता है  तो उसे एक स्टेरॉयड दिया जाता है जो प्रतिरक्षा को कमजोर करता है और शर्करा के स्तर को बढ़ाता है. सामान्य कोरोना मरीजों को यह संक्रमण नहीं होता है. यह मधुमेह, कैंसर या अंग प्रत्यारोपण वाले लोगों को प्रभावित करता है. बीमारी से जुड़े सामान्य लक्षण सिरदर्द, चेहरे का दर्द, नाक में दर्द, दृष्टि की हानि या आंखों में दर्द, गाल और आंखों की सूजन है. कोविड के इलाज के बाद मधुमेह की स्थिति में हाइपरग्लेसेमिया को नियंत्रित करें और ब्लड शुगर के स्तर पर लगातार नजर रखें और इसे बढ़ने न दें. इसके अलावा डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोविड के मरीज काफी समझदारी से स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें. बिना डॉक्टर की सलाह के इसे बिल्कुल भी न लें. मधुमेह के रोगियों को भी अपनी शुगर की दवाएं लेनी चाहिए.

ब्लैक फंगस अधिसूचित रोग घोषित

हरियाणा में ब्लैक फंगस को अधिसूचित रोग घोषित किया गया है. अब इन मामलों का पता चलने पर डॉक्टरों को संबंधित जिले के सीएमओ को रिपोर्ट करनी होगी. राज्य के किसी भी सरकारी और निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस के मामले मिलने पर उसकी सूचना स्थानीय जिले के सीएमओ को देना जरूरी है ताकि बीमारी की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जा सकें. प्रदेश के प्रत्येक जिले में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए अलग से वार्ड बनाए गए हैं.

ऐसे बढ़ रहा यह फंगस

दरअसल, ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है. लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों में इसकी आहट काफी चिंतनीय है. कोरोना संक्रमण के दौरान मिलने वाले उपचार की वजह से भी यह बीमारी ज्यादा बढ़ती दिखाई दे रही है क्योंकि कोरोना संक्रमितों को ऑक्सीजन, स्टेरायड इत्यादि देनी पड़ रही है, जिससे संबंधित का शूगर लैवल ज्यादा बढ़ रहा है और इसके चलते ब्लैक फंगस का इंफैक्शन ज्यादा हो रहा है.

माना जा रहा है कि जिस लिहाज से कोरोना संक्रमितों का ग्राफ बढ़ा है तो इस संक्रमण के कारण संक्रमितों का इम्यून सिस्टम भी गड़बड़ाया हुआ है. इस कारण भी ब्लैक फंगस की चपेट में आने वालों की संख्या ज्यादा हो सकती है. इस समय ताजा आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में करीब 150 से अधिक मामले अलग-अलग जिलों में ब्लैक फंगस के सक्रिय हैं.

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