महाकुम्भ नगर।
उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि देश में आध्यात्मिक चेतना जगाने के पुण्य स्थान संगम पर देश की शिक्षा व्यवस्था से जुड़े प्रत्येक घटक की सहभागिता के साथ आयोजित होने वाले ज्ञान महाकुम्भ से भारत की शिक्षा में सकारात्मक परिवर्तन लाने का शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि संस्कार विहीन शिक्षा का कोई अर्थ नहीं और न्यास की ओर संस्कार युक्त शिक्षा की पहल को हमें मिलकर दूर तक ले जाना है। महाकुम्भ में शिक्षा और समाज के संगम के साथ ही समरसता का संगम होता है। उप-मुख्यमंत्री ज्ञान महाकुम्भ – 2081 के उद्घाटन समारोह में संबोधित कर रहे थे।
उद्घाटन समारोह में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कहा कि कुम्भ मेला धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक के साथ-साथ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम होता है। कुम्भ मेले में देशभर के साधु-संत, सन्यासी आदि एक साथ इकट्ठे होते है और देश की जनता को धार्मिक मार्गदर्शन करते है। महाकुम्भ में देश के शिक्षा जगत के छात्र, आचार्य, शिक्षाविद्, शोधार्थी, शिक्षा से जुड़े शासन-प्रशासन के पदाधिकारी, निजी शैक्षिक संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि मिलकर देश की शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन की प्रक्रिया में गति देने हेतु चिंतन-मंथन करेंगे। पिछले लगभग 175 वर्षों की मैकॉले की शिक्षा नीति के प्रभाव के कारण शिक्षा मात्र नौकरी प्राप्त करने का माध्यम बन गई है। विगत कुछ दशकों से अधिकतर शैक्षिक विमर्श मात्र समस्याओं की चर्चा तक सीमित हो गए। इस शैक्षिक परिदृश्य में सुधार एवं परिवर्तन हेतु शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक कार्य, नवाचार एवं भारतीयता की दिशा में कार्य करने वाली संस्थाओं एवं विद्वानों को एक मंच पर लाकर उनके कार्यों का प्रस्तुतीकरण एवं प्रदर्शित किया जाएगा। शिक्षा के सभी घटक एक साथ एकत्रित होकर देश की शिक्षा में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए मंथन करें, यही ज्ञान महाकुम्भ का प्रमुख उद्देश्य है।
जिस प्रकार प्राचीन भारत में ऋषि मुनि समस्याओं के समाधान हेतु नैमिषारण्य में एकत्रित होते थे, उसी प्रकार न्यास के ज्ञान महाकुम्भ में शिक्षा के सभी घटक एक साथ एकत्रित होकर देश की शिक्षा में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु मंथन करेंगे। इस ज्ञान महाकुम्भ से पूर्व देश के चार अलग अलग भागों में ज्ञान कुम्भ आयोजित किए जा चुके हैं, हरिद्वार, कर्णावती, नालंदा, पुडुचेरी में आयोजित किए गए। इस ज्ञान महाकुम्भ से निश्चित ही देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देने की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे। इस ज्ञान कुम्भ का महत्त्व इससे ही समझा जा सकता है कि देशभर के सैकड़ों कार्यकर्ता एक माह से लेकर 1 वर्ष तक का समय दान कर आयोजन को सफल बनाने में लगे हुए हैं।
विश्व जागृति फाउंडेशन से डॉ. वागीश स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि इस पावन भूमि पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा शिक्षा के विभिन्न विषयों को भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में चिंतन मंथन करने के उपरांत समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जाएगा। यही भारतीय परंपरा है, हमारी परंपरा में सामूहिक चिंतन पर ज़ोर दिया गया है। दुनिया जब पजामे का नाड़ा बांधना भी नहीं जानती थी, तब हम नक्षत्रों की गडणना, उच्च स्तरीय विज्ञान और नैतिकता की बात किया करते थे।
पूर्णेंदु मिश्रा ने कहा कि भारत के जन-जन में व्याप्त पंचतत्व प्रकृति प्रेम और धर्म जागरण को एक राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक उत्सव के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा ‘ज्ञान महाकुम्भ-2081’ का आयोजन किया जा रहा है। इस विशाल शैक्षिक सांस्कृतिक समागम में समस्त भारत से आचार्य, शिक्षाविद, शोधार्थी, छात्र-छात्राएँ, विभिन्न राज्यों के शिक्षामंत्री एवं शिक्षा सचिव आदि प्रतिभाग करेंगे। इस अवसर पर शिक्षा के विभिन्न विषयों को भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में चिंतन मंथन उपरांत समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जाएगा।