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प्रयागराज महाकुम्भ 2025 – 151 फीट ऊंचे त्रिशूल के होंगे दर्शन; त्रिशूल पर प्राकृतिक आपदा का भी नहीं होगा असर

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प्रयागराज. महाकुम्भ के अवसर पर संगम नगरी प्रयागराज में विशालकाय डमरू तैयार किया जा रहा है, साथ ही दुनिया के सबसे बड़े त्रिशूल के भी श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे. 151 फीट ऊंचा त्रिशूल हाईटेक और वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है कि तेज भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदा आने पर भी यह अपनी जगह पर कायम रहेगा. इसे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा. त्रिशूल जूना अखाड़े में स्थापित है, जो शैव संप्रदाय का है और भगवान भोलेनाथ की आराधना करता है.

दुनिया का सबसे ऊंचा त्रिशूल जूना अखाड़े के मौज गिरी आश्रम में छह साल पहले आयोजित कुम्भ के दौरान स्थापित किया गया था. इसका लोकार्पण 13 फरवरी, 2019 को किया गया था. उस समय आश्रम में देश भर के संत महात्मा जुटे थे. प्राकृतिक आपदा आने पर भी त्रिशूल को कोई नुकसान न पहुंचे, इसके लिए इसके नीचे 80 फीट गहराई तक पाइलिंग की गई है.

स्टील सहित अन्य धातुओं से तैयार किए गए इस त्रिशूल का कुल वजन 31 टन से अधिक है. प्रतिदिन सुबह के समय त्रिशूल की पूजा अर्चना की जाती है. त्रिशूल में सबसे ऊपर की ओर एक डमरू भी लगाया गया है.

जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरिगिरि जी और प्रवक्ता नारायण गिरि जी के अनुसार, उनके अखाड़े ने कुम्भ वाले सारे शहरों में इसी तरह से बड़े त्रिशूल स्थापित किए हैं. सबसे बड़ा त्रिशूल प्रयागराज में है. यह दुनिया का सबसे बड़ा त्रिशूल भी है. महाकुम्भ में इस त्रिशूल का दर्शन करने वालों को भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद मिलेगा.

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