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प्रयागराज महाकुम्भ 2025 – आध्यात्मिक भव्यता और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव

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तीर्थराज प्रयागराज, इतिहास और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण एक नगर है. तीर्थ स्थल के रूप में नगर का अत्यधिक महत्व है. इसलिए ‘तीर्थराज’ या तीर्थ स्थलों का राजा कहा जाता है. प्राचीन ग्रंथों और यात्रा वृत्तांतों में भी इसका उल्लेख मिलता है. 7वीं शताब्दी में भारत आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने प्रयागराज को प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और सांस्कृतिक गहराई वाला क्षेत्र बताया था.

ह्वेनसांग के लेखन में त्रिवेणी संगम को आस्था और समुदाय के मिलन स्थल के रूप में दर्शाया गया है. उन्होंने प्रयागराज में आयोजित भव्य उत्सवों का वर्णन किया है. उनके वर्णन में शासकों और धनी व्यापारियों सहित 5,00,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे. उन लोगों ने पवित्र जल में स्नान करने के बाद और उदारतापूर्वक दान दिया था. यह परंपरा आज भी फल-फूल रही है. लाखों लोग आज भी अनुष्ठान में भाग लेने के लिए संगम पर एकत्रित होते हैं.

महाकुम्भ 2025 महज एक धार्मिक आयोजन नहीं है. यह भारत का सांस्कृतिक दूत है. इस आयोजन को उत्तर प्रदेश सरकार विदेशी निवेश को आकर्षित करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विरासत का लाभ उठा रही है. अंतरराष्ट्रीय मेलों के दौरान पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्रों में प्रमुख हितधारकों के साथ चर्चा का उद्देश्य महाकुम्भ के इर्द-गिर्द जुड़ाव का एक वैश्विक इकोसिस्टम का निर्माण होता है. इस सकारात्मक दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश और भारत की आध्यात्मिकता तथा नवाचार की भूमि के रूप में प्रतिष्ठा बढ़ने की उम्मीद है.

प्रयागराज कुम्भ मेला 2019 की सफलता से इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को अत्यधिक बल मिला. यह आयोजन न केवल लाखों लोगों की भक्ति का प्रमाण था, बल्कि संगठनात्मक उत्कृष्टता और वैश्विक प्रशंसा का भी प्रदर्शन था. विभिन्न देशों की सरकारों और राजदूतों ने कुम्भ मेला 2019 की सराहना की थी.

इसके अलावा, 3 गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए और 70 देशों के मिशन प्रमुखों से प्रशंसा प्राप्त की.

प्रयागराज महाकुम्भ 2025 भी कई विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा है. मेला प्राधिकरण ने विभिन्न श्रेणियों में चार अलग-अलग विश्व रिकॉर्ड बनाने की योजना बनाई है. इसमें एक ही आयोजन में श्रद्धालुओं की सबसे बड़ी भीड़ का रिकॉर्ड बनने की प्रबल संभावना है. इसके अलावा, नेत्र परीक्षण और चश्मा वितरण का विश्व रिकॉर्ड भी बनने की उम्मीद है. ऐसा पहली बार होगा जब एक ही आयोजन में 5 लाख लोगों की आंखों की जांच और 3 लाख चश्मे बांटे जाएंगे. इस उद्देश्य से, नागवासुकी के पास सेक्टर 5 में लगभग 10 एकड़ में भव्य “नेत्र कुम्भ” (नेत्र मेला) लगाया गया है. पिछले नेत्र कुम्भ ने अपनी उपलब्धियों के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त किया था.

उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से, स्पेन के मैड्रिड और जर्मनी के बर्लिन में प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पर्यटन व्यापार मेलों में महाकुम्भ 2025 को प्रदर्शित कर रहे हैं.

महाकुम्भ एक आयोजन से कहीं अधिक है. यह एक ऐसी जीवंत विरासत है जो साझा मान्यताओं और परंपराओं के माध्यम से पीढ़ियों को एक साथ जोड़ती है. यह एक ऐसा अनुभव है जो न केवल तीर्थयात्रियों को बल्कि सामूहिक आस्था की शक्ति को देखने वाले दर्शकों को भी बदल देता है. सदियों से प्रयागराज ने विद्वानों, यात्रियों और आध्यात्मिक साधकों सहित दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है. महाकुम्भ 2025 का उद्देश्य इस ऐतिहासिक संबंध को फिर से जगाना है, दुनिया को शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व के सार्वभौमिक मूल्यों को फिर से खोजने के लिए आमंत्रित करना है.

महाकुम्भ का उत्सव मनाकर हम भारत की अंतरात्मा का उत्सव मनाते हैं. यह एक ऐसी भूमि है जहां पवित्रता और धर्मनिरपेक्षता सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं, तथा जो विश्व को अपनी खोज की यात्रा पर निकलने के लिए प्रेरित करती है.

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