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प्रयागराज महाकुम्भ – विश्व कल्याण की कामना के साथ जलेंगे 27 लाख दीप, गूंजेगी 12 हजार शंखों की ध्वनि

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महाकुम्भ नगर। प्रयागराज महाकुम्भ में संत समाज भी इसकी दिव्यता बढ़ाने के लिए अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा से पूरे क्षेत्र को अभिसिंचित कर रहा है। प्रयागराज महाकुम्भ शंख ध्वनियों से गूंजेगा, वहीं दीपोत्सव का साक्षी भी बनेगा।

श्री त्रिदंडी स्वामी महाराज के शिष्य श्री जियर स्वामी का सेक्टर-8 में लगा शिविर 27 लाख दीपों से सजेगा, विश्व शांति​ के लिए 12 हजार, 500 शंखध्वनियों से गूंजेगा भी। इसके लिए तैयारियां चल रही हैं। शिविर में 10 फरवरी को सायं श्रद्धालु 27 लाख दीप जलाकर मां गगा की आरती उतारेंगे तो 11 फरवरी को सायं बटुक एवं 12 हजार, 500 भक्त एक साथ शंखध्वनि कर गंगा मईया से विश्व कल्याण के लिए कामना करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, जियर स्वामी के मीडिया प्रमुख अखिलेश बाबा ने बताया कि दीपोत्सव व शंखध्वनि के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। दीपोत्सव के लिए दीप एवं शुद्ध देशी घी शिविर में पहुंच चुका है। शंखध्वनि के लिए 12 हजार, 500 शंख भी मंगा लिए गए हैं। स्वामी ​जियर जी महाराज के शिविर में जो श्रद्धालु आ रहे हैं, उनके ठहरने एवं शुद्ध घी से बने प्रसाद की व्यवस्था भी की गई है। शिविर में हो रही रामकथा से पूरा क्षेत्र भक्तिमय बना हुआ है।

स्वामी श्री जियर जी महाराज ने महाकुम्भ में स्नान का माहात्म्य बताते हुए कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ मोक्ष देने का द्वार है। महाकुम्भ में संगम पर स्नान कर लिया तो समझें उसका जीवन धन्य हो गया। जिसका बहुत बड़ा सौभाग्य होगा, वह इस महाकुम्भ में अमृत स्नान में हिस्सा लेगा।

पूरे ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा महत्व सत्संग का है। जिस पर भगवत कृपा होती है, उसी को सत्संग करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। किसी के भी जीवन में अगर सच्चे संत का दर्शन हो जाए तो पूरा जीवन सफल माना जाता है। जो सात जन्मों में मिलना संभव नहीं है, वह एक सच्चे संत के दर्शन मात्र से संभव हो सकता है। इस कलिकाल में संत दर्शन का बहुत बड़ा महत्व है।

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