प्रयागराज। तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महाकुम्भ में पूर्वोत्तर भारत के संत समाज को सम्मानित किया गया। सोमवार को महाकुम्भ नगर के प्राग्ज्योतिषपुर क्षेत्र में असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश एवं नागालैण्ड से आए संतों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने जलकलश, वटवृक्ष स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि सम्पूर्ण भारत का कोई भी क्षेत्र जितना वहां के लोगों का है, उतना ही वह क्षेत्र पूर्वोत्तर के लोगों का भी है। पिछले पांच सौ वर्षों से भी अधिक समय तक संघर्ष और त्याग करके पूर्वोत्तर के पूज्य संतों ने सनातन धरोहर को संरक्षित किया है।
कार्यक्रम में मंचस्थ विशिष्ट अतिथि के रूप में शान्ति काली आश्रम के अध्यक्ष पद्मश्री स्वामी चितरंजन जी महाराज, श्रीश्री 1008 श्री महंत महामण्डलेश्वर स्वामी श्री केशवदास जी महाराज, श्री जनार्दन देव गोस्वामी (सत्राधिकार उत्तर कमलाबारी सत्र माजुली), कुसुम कुमार महंत (सम्पादक, असम सत्र महासभा) ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री श्री शंकरदेव जी द्वारा रचित बोर गीत से हुआ। प्राग्ज्योतिषपुर क्षेत्र शिविर में आकर्षण का विशेष केन्द्र मां कामाख्या मन्दिर का प्रतिरूप एवं पूर्वोत्तर के प्रमुख संतों की भित्ती चित्र रहे। कार्यक्रम में पूर्वोत्तर भारत की लोक कलाओं की सजीव प्रस्तुति से उपस्थित जनसमुदाय मंत्रमुग्ध हुआ।
स्वामी चितरंजन जी महाराज से भय्याजी जोशी की भेंट
महाकुम्भ नगर में स्थापित प्राग्ज्योतिषपुर क्षेत्र में शान्ति काली आश्रम के अध्यक्ष पद्मश्री स्वामी चितरंजन जी महाराज से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भय्याजी जोशी ने भेंटकर उनसे आशीर्वाद लिया एवं उनका कुशलक्षेम पूछा। भेंटवार्ता के क्रम में स्वामी जी एवं भय्याजी जोशी के मध्य पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।