नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को तिरुअनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर पहुंचे. यहाँ उनके साथ ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ भी उपस्थित रहे. प्रधानमंत्री मोदी ने तीन स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के साथ ही पहले स्पेस मिशन गगनयान की समीक्षा की. उन्होंने गगनयान मिशन पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के नामों की भी घोषणा की. उन्हें एस्ट्रोनॉट विंग्स पहनाए.
जिन एस्ट्रोनॉट्स को गगनयान मिशन पर भेजा जाएगा, उनमें – ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं. गगनयान मिशन के लिए नामित चारों एस्ट्रोनॉट्स भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट्स हैं. ये सभी लोग हर तरह के फाइटर जेट्स उड़ा चुके हैं. इसलिए इन चारों को गगनयान एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए चुना गया. इनकी ट्रेनिंग रूस में हो चुकी है. फिलहाल बेंगलुरु में एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में इनकी ट्रेनिंग चल रही है.
Indian astronauts selected to go to space as part of the Gaganyaan mission
गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का चयन
1. Group Capt Prasanth Balakrishnan Nair
2. Group Capt Ajit Krishnan
3. Group Capt Angad Pratap
4. Wng Commander Shubhanshu Shukla pic.twitter.com/RaKE17NVgz— VSK BHARAT (@editorvskbharat) February 27, 2024
ISRO के अनुसार, गगनयान मिशन के लिए सैकड़ों पायलटों का टेस्ट लिया गया था. जिसके बाद उनमें से महज 12 चुने गए. इसके बाद अनेक राउंड के सेलेक्शन प्रोसेस को पूरा किया गया, तब ISRO और वायुसेना ने गगनयान मिशन के लिए 4 टेस्ट पायलट के नाम फाइनल किए. सेलेक्शन के बाद वर्ष 2020 में इन चारों एस्ट्रोनॉट को बेसिक एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया. इसी बीच कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेनिंग में विलंब हुआ और वो 2021 में पूरी हुई.
ISRO ने गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया है. अनमैन्ड मिशन के सफल होने के बाद ISRO अपना गगनयान मैन्ड मिशन लॉन्च करेगा, जिसमें मानव अंतरिक्ष में जाएंगे. इससे पूर्व ISRO ने ड्रैग पैराशूट का सफल परीक्षण किया था. ये पैराशूट एस्ट्रोनॉट्स की सेफ लैंडिंग कराने में मदद करेगा.
‘गगनयान’ में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा. 3 दिनों बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा. अगर भारत अपने इस गगनयान मिशन में कामयाब हो जाता है तो यह सफलता हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा.