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पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी ने स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के सिद्धांतों के अनुसार शासन किया

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पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर त्रिशताब्दी जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में ‘मातोश्री’ नाटक का मंचन

नागपुर, 19 अगस्त.

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि मैं लेखक नहीं हूं, साहित्यकार नहीं हूं और इतिहास की अभ्यासक भी नहीं हूं. राष्ट्र सेविका समिति की एक कार्यकर्ता के रूप में, मैंने अहिल्यादेवी होल्कर के कार्यों का अध्ययन किया और बाद में उनके जीवन पर आधारित प्रवचन दिए. अहिल्यादेवी के अपने काम के प्रति समर्पण ने मुझे उनके जीवन पर नाट्य लेखन के लिए प्रेरित किया. उन्होंने धर्म निरपेक्षता, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के सिद्धांतों के अनुसार शासन किया. इससे सुराज्य कैसा हो, इसका पता चलता है.

पुण्यश्लोक अहल्यादेवी होल्कर त्रिशताब्दी समिति और मुद्रा इवेंट्स ने स्थानीय सुरेश भट सभागार में अहल्यादेवी के जीवन पर आधारित ‘मातोश्री’ नाटक का मंचन किया. मुख्य अतिथि नाटक की लेखिका पूर्व लोकसभा अध्यक्षा सुमित्राताई महाजन ने संबोधित किया. नाट्य प्रयोग को लोगों का उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला. नाट्य के प्रति प्रतिसाद का कारण कलाकारों का परिश्रम है.

राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का जी, प्रमुख कार्यवाहिका सीता गायत्री अन्नदानम, रा. स्व. संघ के महानगर संघचालक राजेश जी लोया, त्रिशताब्दी समिति के संयोजक अनुप घुमारे और नाटककार मनीषा काशीकर सहित अन्य प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.

कार्यक्रम की प्रास्तावना में डॉ. विकास महात्मे ने अहिल्या देवी के 26 साल के सुशासन की समीक्षा की. कार्यक्रम का संचालन श्रद्धा भारद्वाज ने किया और अनूप घुमरे ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया.

‘मातोश्री’ नाटक अहिल्या देवी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है.

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