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पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी का जीवन व कार्य आज भी प्रासंगिक है – दत्तात्रेय होसबाले जी

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गोरखपुर, 07 अक्तूबर 2024.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने सोमवार को रामगढ़ताल स्थित योगीराज गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह में साप्ताहिक पत्रिका ध्येय मार्ग के “पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर” विशेषांक का लोकार्पण किया.

उन्होंने लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर के जीवन पर विशेषांक प्रकाशन पर विश्व संवाद केंद्र का अभिनंदन किया. उन्होंने कहा कि उनके महान प्रेरक जीवन के कारण हम लोकमाता के ऋणी हैं. उनके जीवन पर अंक निकालकर अभिनन्दनीय कार्य किया है. पृष्ठभूमि में देखें तो ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ीं और जीवन में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जो सुशासन दिया, वह अनुकरणीय है. उनका जीवन और कार्य आज भी प्रासंगिक हैं. आज शासन के लिए रामराज्य को आदर्श मानते हैं. युधिष्ठिर, चाणक्य इत्यादि के शासन भी चर्चित हैं. छत्रपति शिवाजी के योग्य शासन की चर्चा भी इतिहासकारों ने की है. लोकमाता ने भी छत्रपति शिवाजी के शासन से प्रेरणा लेकर एक उत्तम शासन दिया था. अहिल्यादेवी ने उनके अपने जीवन में अपने परिवार के ५ पुरुष और १८ महिलाओं की अकाल मृत्यु देखी. इसके बावजूद प्रजाहित में उत्तम शासन दिया. उनके ससुर मल्हारराव का व्यक्तित्व भी स्मरणीय है, जैसे चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को पहचाना वैसे ही मल्हारराव ने अहिल्यादेवी को पहचाना और बहू बनाना निश्चित किया, यह प्रेरणादायी बात थी.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि देश में कर्तव्य परायणता और सुशासन के विषय में कई बार चर्चा होती है. इन विषयों पर जब हम विचार करते हैं तो अहिल्यादेवी होलकर की एक विशेष भूमिका रही है. एक सफल सार्थक प्रेरणादायी सुशासक के रूप में उनका नाम स्वर्णिम अक्षर में भारतीय इतिहास के पन्नों में अमर हो गया. विलासिता से दूर रहकर उन्होंने एक तपस्वी संत की भाँति कार्य किया. दूसरे राज्यों को सहायता भी दी. धर्म विरोधी कार्य करने वालों पर कार्रवाई भी की. स्वतंत्र न्याय व्यवस्था सरल-सुलभ की. उन्होंने पारदर्शिता के माध्यम से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया. कर व्यवस्था को प्रजाहित के अनुसार लागू किया. वस्त्र उद्योग, हथकरघा बढ़ावा दिया. अहिल्यादेवी ने धर्म के क्षेत्र में बहुत कार्य किए. ज्योतिर्लिंगों, धर्मस्थलों, सप्तपुरियों में नवनिर्माण व जीर्णोद्धार करवाया और यात्रियों के लिए समुचित व्यवस्था की. उन्होंने यह सब कार्य जनता के धन से नहीं, अपने निजी धन से किया था.

आपस में भेद के कारण हम एक दूसरे से लड़ते रहेंगे तो भारत कमजोर हो जाएगा, ये कहने वाली लोकमाता थी. इसलिए भारत की एकात्मता, सुशासन, लोक कल्याण, इन सारे विषयों के बारे में सोचने और कार्य करने वाली लोकमाता अहिल्यादेवी प्रातः स्मरणीय है. सदा प्रेरणादायी, प्रजावत्सला माता है. उनकी प्रेरणा से आने वाली पीढ़ियों में सुशासन, धर्म परायण समाज की उन्नति के लिए कार्य करने की प्रेरणा सदैव जागृत रहे, यही कामना करता हूं.

कार्यक्रम की अध्यक्ष कुलपति गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि मध्य प्रदेश के इंदौर के होलकर राज्य की महारानी अहिल्यादेवी होलकर भारतीय इतिहास में एक ऐसी प्रसिद्ध महिला  शासक रही, जिनके लोककल्याणकारी शासन और उनके कार्यों के कारण उन्हें देवी और लोकमाता के रूप में याद किया जाता है. वे कर्तव्यनिष्ठ, कर्मनिष्ठ, कुशल प्रशासक तथा भारतवर्ष को एक एवं अखंड मानकर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा धार्मिक प्रबंधन करती थी. अहिल्यादेवी महिला सशक्तिकरण के लिए सदैव सजग थी.

कार्यक्रम का शुभारंभ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, प्रांत संघचालक डॉ. महेंद्र अग्रवाल जी, प्रो. पूनम टंडन ने दीप प्रज्ज्वलन और भारत माता व पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जी के चित्र पर पुष्पार्चन करके किया. तत्पश्चात मंचासीन अथितियों ने “पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर” विशेषांक का लोकार्पण किया.

कार्यक्रम में स्वागत व अतिथि परिचय विश्व संवाद केंद्र गोरखपुर के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने और आभार ज्ञापन ध्येय मार्ग विशेषांक के संपादक प्रो. सदानंद गुप्त ने किया. कार्यक्रम का संचालन सचिव डॉ. उमेश कुमार सिंह ने किया.

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