भीलवाड़ा. भीलवाड़ा के टेक्सटाइल और प्रॉपर्टी कारोबारी तिलोकचंद ने पर्यावरण संरक्षण के अपने अभियान (ट्री-ट्रांसप्लांटेशन) से समाज को भी प्रेरित कर रहे हैं. प्रेरणादायक अभियान के तहत भीलवाड़ा में कहीं भी नई सड़क या भवन निर्माण के चलते पेड़ कटने का विषय़ आता है तो वह अपनी टीम के साथ साथ पहुंच जाते हैं. पेड़ को ट्रांसप्लांट करने के प्रयास में जुट जाते हैं. तिलोकचंद छाबड़ा अपनी टीम के सहयोग से अभी तक एक हजार से अधिक पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करवा चुके हैं. उन्हें पेड़ों से इतना लगाव है कि वे कहीं भी पेड़ कटने नहीं देते.
छाबड़ा ने इस प्रेरक अभियान की शुरुआत सितम्बर 2021 में की थी. तब उन्होंने अपने फार्म हाउस में बोतल पाम के सात पेड़ ट्रांसप्लांट करवाए थे. उसके बाद ही उन्हें ट्री ट्रांसप्लांटेशन का सुझाव मिला. इस काम के लिए दिल्ली से एक विशेषज्ञ भूपेंद्र चतुर्वेदी को बुलवाया और सफल ट्रांसप्लांटेशन किया. फिर उनके दिमाग में ये आईडिया आया कि क्यों न अपनी एक टीम खड़ी की जाए जो शहर में कहीं भी पेड़ों को बचाने का काम कर सके. इस काम के लिए छाबड़ा ने टीम खड़ी की और आज वह टीम बड़ी सावधानी के साथ पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन कर रही है. सबसे पहले जिन पेड़ों का ट्रांसप्लांट होना है, उसके चारों ओर करीब 4 फीट चौड़ा गड्डा करते हैं. डेढ़ से दो फीट खुदाई का घेरा बनने के बाद उसमें कोकोपीट, रेत, बोवस्टिन भरकर 15–15 दिन के दो चरण पूरे करने होते है. दो चरण पूरे करने के बाद इन पेड़ों को क्रेन की मदद से बाहर निकला जाता है. फिर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाता है.
तिलोकचंद छाबड़ा बताते हैं कि “नीम, बरगद, पीपल, पिलखन आदि पेड़ों का सर्वाइवल रेट अच्छा है. ट्रांसप्लांट करने के बाद जब पेड़ को नई जगह लगाया जाता है, तो वह पहले पूरी तरह सूखता है. सूखने के कुछ दिनों बाद जब वह वापस जड़ें पकड़ लेता है तो फूल-पत्ती आने शुरू हो जाते हैं”.
