जयपुर. देवस्थान विभाग की लापरवाही व निर्णयों के कारण प्रदेश के मंदिरों में चोरी के साथ-साथ लूट, हत्या से संबंधित मामले बढ़ रहे हैं, जिसके कारण लोगों में रोष पनप रहा है. मंगलवार को राजस्थान के तीन अलग-अलग स्थानों पर मंदिरों से संबंधित मामले सामने आए. जिसमें दो मामले उदयपुर और एक अन्य मामला सिरोही का है.
एक मामला राजस्थान के सिरोही जिले से है, जहां सिरोही सदर थाना क्षेत्र के कृष्णगंज स्थित दशकों पुराने गणेश मंदिर के पुजारी सेलम भारती महाराज (70) की सोमवार 23 सितंबर रात दो बदमाशों ने धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी. जानकारी के अनुसार, चोरी करने के लिए मंदिर में घुसे बदमाशों ने धारदार हथियार से बुजुर्ग पुजारी के शरीर पर 20 बार वार किया. शोर सुनकर आस पास के ग्रामीण वहां पहुंचे और एक आरोपी को पकड़ लिया, जबकि दूसरा भागने में सफल रहा.
ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस वहां पहुंची. घायल पुजारी को सिरोही जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया गया. जहां डॉक्टर ने पुजारी को मृत घोषित कर दिया. पुजारी सेलम भारती महाराज लगभग 30 वर्षों से गणेश मंदिर में सेवा-पूजा कर रहे थे.
पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बदमाशों ने पुजारी के हाथ से चांदी का कड़ा लूटने के लिए ही घटना को अंजाम दिया.
उदयपुर में मंगलवार को देवस्थान विभाग के विरुद्ध सामने आए महत्वपूर्ण प्रकरणों ने हिन्दू संगठनों और स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया. मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाने की चर्चा के बीच उदयपुर का देवस्थान विभाग विवादों में है…..
पहला प्रकरण श्यामजी मंदिर में फिल्म की शूटिंग से सम्बंधित है.
देवस्थान विभाग ने शहर के मांजी घाट स्थित सरदार स्वरूप श्यामजी मंदिर में फिल्म “सनी की तुलसी कुमारी” की शूटिंग की अनुमति दे दी, इसके बाद विवाद खड़ा हो गया. मंदिर बचाओ संघर्ष समिति और विभिन्न हिन्दू संगठनों ने शूटिंग की अनुमति पर कड़ा विरोध जताया. हिन्दू समाज का मानना है कि मंदिर एक पवित्र तीर्थ स्थल है, मंदिर में शूटिंग से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है. विरोध के बाद मंगलवार को होने वाली शूटिंग को रोक दिया गया, लेकिन बुधवार को फिर से शूटिंग का शेड्यूल तय कर दिया गया. इस मामले में देवस्थान मंत्री तक शिकायत की गई. संघर्ष समिति के संयोजक हरीश तिवारी और सह संयोजक रोहित चौबीसा सहित अन्य पदाधिकारियों ने कलेक्टर और एसपी से मिलकर शूटिंग की स्वीकृति रद्द करने की मांग की.
दूसरा प्रकरण जावर माता मंदिर के पुजारियों से अभद्रता का है. उदयपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर जावर माता मंदिर स्थित है. जावर माता पुजारी संघ के सचिव भरत शर्मा और उनके सहयोगी नवरात्रि बजट को लेकर देवस्थान विभाग पहुंचे थे, जहां सहायक आयुक्त से बहस हो गई. पुजारी संघ का आरोप है कि सहायक आयुक्त ने पुजारियों के साथ दुर्व्यवहार व जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और उन्हें “आतंकी” कहा. जिसके बाद पुजारी संघ ने सांसद मन्नालाल रावत को ज्ञापन सौंपा और सहायक आयुक्त के विरुद्ध शिकायत दर्ज की.
मंदिर बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि देवस्थान विभाग का काम मंदिरों की सेवा और प्रबंधन करना है, लेकिन इसके विपरीत विभाग स्वयं ही मंदिरों की पवित्रता को भंग कर रहा है. समिति के अनुसार, इस प्रकार की फिल्म शूटिंग से मंदिर के महत्व और धार्मिक भावनाओं पर गहरा असर पड़ता है.
देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त ने कहा कि फिल्म शूटिंग की स्वीकृति नियमों के अंतर्गत दी गई थी. यदि उच्च अधिकारियों से निरस्त करने के निर्देश मिलेंगे, तो शूटिंग रद्द कर दी जाएगी. वहीं, पुजारियों के आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया.
इन सभी घटनाओं ने राजस्थान के धार्मिक और सांस्कृतिक वातावरण को प्रभावित किया है. साथ ही मंदिरों की सुरक्षा और देवस्थान विभाग के कार्यों पर भी प्रश्न खड़े किए हैं.
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2024 से लेकर अगस्त 2024 तक प्रदेश में 26 मंदिरों को निशाना बनाया गया. अधिकांश मामलों में विग्रह तोड़े गए, तो कहीं मंदिरों के बुर्ज या दीवारों को तोड़ने के प्रयास हुए. संज्ञान में आए मामलों में भरतपुर की 4, अलवर की 3, उदयपुर की 3, भीलवाड़ा की 2, अजमेर की 2 और सिरोही, बारां, जैसलमेर, बीकानेर, गंगापुर सिटी, सिरोही, दौसा, डूंगरपुर, कोटपूतली, करौली एवं जयपुर की 1-1 घटनाएं शामिल हैं. अधिकांश मामले ऐसे भी होंगे, जो मीडिया में नहीं आए.