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राजस्थान – जनजातीय समाज ईसाई मिशनरियों के निशाने पर, डूंगरपुर में 6 गिरफ्तार

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डूंगरपुर, राजस्थान। सहज और भोला जनजातीय समाज हमेशा से ईसाई मिशनरियों के निशाने पर रहा है। राजस्थान का जनजाति बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर भी इससे अछूता नहीं। रविवार को डूंगरपुर के साबला थाना क्षेत्र के एक घर में कन्वर्जन गतिविधियां चलाने का मामला सामने आया। सूचना पर पुलिस ने मुंगेड गांव के भगोरा फले में छापेमारी की और 6 लोगों को गिरफ्तार किया।

साबला थाना अधिकारी रघुवीर सिंह ने बताया कि दोपहर 1:30 बजे भगोरा फले में कन्वर्जन से जुड़ी गतिविधियों की सूचना मिली थी। पुलिस की टीम वहां पहुंची तो छगनलाल भगोरा और उसकी पत्नी के अतिरिक्त 6 पुरुष और 5 महिलाएं उपस्थित थे। प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस ने छगनलाल भगोरा सहित 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि छगनलाल भगोरा स्वयं ईसाई बन चुका है और अब अपने घर पर ईसाई प्रार्थना सभा का आयोजन कर नए लोगों को लालच देकर ईसाई बनाता है। जब कन्वर्जन की सूचना पर पुलिस ने दबिश दी तो यहां कन्वर्जन प्रक्रिया चल रही थी।

मिशनरियों की सक्रियता के चलते राजस्थान का यह क्षेत्र कन्वर्जन के मामले में संवेदनशील होता जा रहा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राजस्थान की 6.85 करोड़ जनसंख्या में से 0.14 प्रतिशत ईसाई थी, यानी एक लाख से भी कम। बांसवाड़ा सहित राजस्थान के जनजाति बहुल आठ जिलों में जनजातीय समाज की जनसंख्या 45 लाख है और अब अकेले 1,532 गांव वाले बांसवाड़ा जिले में ही ईसाई बन चुके जनजातीय लोगों की संख्या एक लाख से अधिक बताई जा रही है। इसी तरह उदयपुर और डूंगरपुर जिलों में भी हाल के वर्षों में लगभग 1-2 लाख जनतातीय लोग ईसाई बन गए। उदयपुर जिले के कोटड़ा, झाड़ोल और फलासिया; डूंगरपुर जिले के चौरासी और बिछीवाड़ा; बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़, सज्जनगढ़, गढ़ी, बागीदौरा और प्रतापगढ़ जिले के धरियावद गांवों में कन्वर्जन के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। एक दशक पहले तक तीन जिलों में 40-50 चर्च थे। आज इनकी संख्या 250 से अधिक है। कई नए चर्च भी बन रहे हैं। इससे समाज का ताना बाना बिगड़ रहा है।

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