करंट टॉपिक्स

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नींव में राजस्थान की ‘रज’

Spread the love

जयपुर. राजस्थान वासियों के लिए गौरव का विषय़ है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नींव में राजस्थान के पचास से अधिक मंदिर, मठ, आश्रम और तीर्थ क्षेत्रों की ‘रज कण’ डाली गई है. छोटी काशी के नाम से विख्यात राजधानी जयपुर के प्रसिद्ध श्री राधागोविंद देव जी मंदिर और मोतीडूंगरी गणेश मंदिर के अलावा तपोभूमि गलता तीर्थ, हल्दीघाटी, चित्तौड़गढ़, मेहंदीपुर बालाजी, त्रिनेत्र गणेश व डिग्गी कल्याण जी की मिट्टी का उपयोग नींव तैयार करने में किया गया है.

इतिहास में मीरा की भक्ति, महाराणा प्रताप के पराक्रम और वीर सपूतों के शौर्य के लिए विश्व प्रसिद्ध राजस्थान की माटी अब अयोध्या में निर्मित ‘रामलला’ के मंदिर की नींव की मजबूती में अपने योगदान के लिए याद रखी जाएगी. मंदिर के हरेक भाग में राजस्थानी रज अपनी सुगंध बिखेरेगी.

यदि पूरे देशभर के तीर्थ स्थानों व मंदिरों की बात की जाए तो नींव को मजबूत बनाने में 2 हजार 587 क्षेत्रों की मिट्टी का उपयोग किया गया है. हजारों साल तक राम मंदिर सुरक्षित खड़ा रहे, इसलिए इसकी नींव के निर्माण का कार्य लगभग पांच महीनों तक चला. मंदिर निर्माण के लिए जमीन की 50 फीट गहराई में कांक्रीट की आधारशिला रखी गई. जिसकी 2.77 एकड़ भूमि पर भव्य राम मंदिर बन रहा है.

राजस्थान में यहां से एकत्रित हुई मिट्टी

जयपुर से मोती डूंगरी गणेशजी, गोविंद देवजी, गलता पीठ, घाट के बालाजी, शिलामाता, झूलेलाल मंदिर अमरापुर, श्री ताड़केश्वर महादेव मंदिर, त्रिवेणी धाम, शाकंभरी माता सांभर, ज्वाला माता मंदिर जोबनेर, वीर हनुमान मंदिर सामोद, पंचखंड पीठ विराटनगर,  सीकर जिले से खाटूश्याम जी, रेवासा पीठ, जीणमाता मंदिर, चूरू जिले से सालासर बालाजी, ददरेवा धाम राजगढ़, झुंझुनूं जिले से रानी सती मंदिर, सूर्य मंदिर लोहार्गल, शाकंभरी माता मंदिर उदयपुरवाटी, अलवर जिले से भर्तृहरि धाम पांडुपोल, करौली जिले से मदन मोहन जी मंदिर, कैला माता मंदिर.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *