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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता आधारित संगठन – मुकुंदा जी

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गुवाहाटी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता आधारित संगठन है. दुनिया में हजारों संगठन हैं. अच्छे कार्य भी संगठन कर रहे हैं. सभी को चलाने की व्यवस्था भिन्न है. समाज में कुछ संगठन ऐसे हैं जो सिर्फ पैसे के बल पर चलते हैं. आर्ट ऑफ लिविंग है जो योग के बल पर चलता है. वहीं कुछ संगठन सिर्फ प्रचार के बल पर चलते हैं.

रविवार को गुवाहाटी के फैंसी बाजार स्थित तेरापंथ भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गुवाहाटी महानगर शाखा द्वारा आयोजित युवा एकत्रीकरण को संबोधित करते हुए सह सरकार्यवाह सीआर मुकुंद ने प्रचार आधारित संगठन एसएफआई का उदाहरण देते हुए कहा कि एक स्थान से होकर वे गुजर रहे थे. एक संस्थान में 7 से 10 व्यक्ति बैठे हुए थे. उन्होंने अपने साथियों से पूछा कि यहां पर क्या हो रहा है तो उन्होंने बताया कि एसएफआई नामक संगठन की बैठक चल रही है. दूसरे दिन जब समाचार पत्रों को देखा तो पता चला कि एसएफआई की एक बड़ी बैठक हुई है. इस तरह समाचार पत्रों के जरिए कुछ लोगों की बैठक को बड़ा बनाकर समाज में परोसा गया. ऐसे संगठन प्रचार आधारित हैं.

उन्होंने कहा कि संघ का आधार केवल कार्यकर्ता हैं. नये कार्यकर्ता ही संघ की पूंजी हैं. सनातन हिन्दू संगठन का काम 1925 में संघ के जरिए शुरू हुआ था. जो अब 100 वर्ष पूरे होने जा रहा है. ऐसे में संघ ने लगभग 100 वर्ष में कार्यकर्ताओं को संगठित कर कार्यशक्ति का निर्माण किया है. गुणवत्ता, समर्पण, दृष्टि, कार्य क्षमता का विस्तार किया है.

उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ता प्राथमिक रूप से स्वयंसेवक हैं. हालांकि, कुछ को जिम्मेदारियां दी जाती हैं. लेकिन, मूलतः सबसे पहले स्वयंसेवक है. उन्होंने प्रचार की व्याख्या करते हुए बताया कि प्रचारक को अपने स्वयं के लिए कुछ नहीं करना है. हमारे पूर्वजों ने हमारी परंपरा को बताया कि पूरी दुनिया हमारा परिवार है. राष्ट्र शब्द हमारा दर्शन है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता में शिथिलता आई है, उसे फिर से मजबूत करना है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्राण स्वयंसेवकों में है. स्वयंसेवक का प्राण स्वयं में है. स्वयं की प्रेरणा से राष्ट्र के लिए कार्य करने वाला ही स्वयंसेवक है. स्वयंसेवक का एक परसेप्शन (इमेज) है, वह है समर्पण. तन-मन-धन का समर्पण करना है. उन्होंने मन-बुद्धि के कार्यों के बारे में एक उदाहरण के जरिए बड़े ही सादगी तरीके से समझाया. जिसमें उन्होंने मन को मजबूत बनाने की बात कही. उन्होंने स्वयंसेवकों से कुछ घंटा, कुछ दिन, कुछ महीना और कुछ वर्ष कार्यकर्ता के रूप में संगठन और समाज के लिए देने का आह्वान किया. इस मौके पर गुवाहाटी महानगर संघ चालक गुरु प्रसाद मेधी भी उपस्थित थे.

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