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पुणे। रक्त की गंभीर बीमारी थैलेसीमिया के लिए रोगियों के उपचार प्रबंधन, वाहक पहचान और सामाजिक जागरूकता की तीन-आयामी रणनीति पर काम करने हेतु ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति’ और ‘जनकल्याण रक्त केंद्र श्रृंखला’ की ओर से संयुक्त प्रयास किए जाएंगे, जिसका आरंभ पुणे से किया गया।
पुणे के ‘सेवा भवन’ में विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी, जनकल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. अजीत मराठे, ‘जनकल्याण रक्त केंद्र श्रृंखला’ के अध्यक्ष डॉ. दिलीप वाणी, राज्य रक्त संक्रमण परिषद के सहायक निदेशक डॉ. महेंद्र केंद्रे मुख्य रुप से उपस्थित रहे। थैलेसीमिया की समस्या के संदर्भ में काम कर रहे रक्त केंद्रों और सामाजिक संगठनों को एक साथ लाकर उनके कार्यों का सुसूत्रीकरण ‘जनकल्याण समिति’ और ‘जनकल्याण रक्त केंद्र श्रृंखला’ का कार्य करेगा।
भय्याजी जोशी ने विश्वास व्यक्त किया कि जब सामूहिक और प्रभावी प्रयास किए जाते हैं, तो चिकित्सा क्षेत्र के सामने आने वाली नित नई चुनौतियों को दूर किया जा सकता है, यह इतिहास हमें बताता है। यदि हम सभी एक साथ और समग्र तरीके से इसी तरह के प्रयास करते हैं, तो हम इस चुनौती को पार कर सकते हैं और थैलेसीमिया मुक्त समाज की ओर बढ़ सकते हैं।
रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव रविन्द्र कुलकर्णी ने प्रतिनिधियों के सामने समस्या के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया। डॉ. चिन्मय उमर जी ने बीमारी की वैज्ञानिक जानकारी और वर्तमान में प्रचलित प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। थैलेसीमिया सोसायटी, पुणे की अध्यक्षा डॉ. नीता मुंशी और राज्य रक्त संक्रमण परिषद के सहायक निदेशक डॉ. महेंद्र केंद्रे ने थैलेसीमिया बीमारी और इससे निपटने के लिए आवश्यक प्रयासों पर मार्गदर्शन दिया।
थैलेसीमिया रोगियों के प्रबंधन पर, डॉ. मंजूषा कुलकर्णी और डॉ. लिज़ा बलसारा ने, थैलेसीमिया मुक्त समाज के लिए थैलेसीमिया की जांच के विषय पर डॉ. अतुल कुलकर्णी और डॉ. अमर सतपुते तथा थैलेसीमिया विषय पर व्यापक सामाजिक जागरूकता विषय पर डॉ. प्रदीप पराडकर ने प्रबोधन किया। डॉ. आशुतोष काले ने चर्चा का संचालन किया।
कार्यशाला में राज्य के 18 जिलों के 24 संगठनों और 15 रक्त केंद्रों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस बीमारी के संदर्भ में उत्कृष्ट कार्य के लिए विभिन्न संगठनों को कार्यशाला में सम्मानित किया गया।