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पटना एम्स में प्लाज़्मा थेरेपी का परिणाम उत्साहवर्धक

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पटना (विसंकें). पटना एम्स में कोरोना संक्रमित मरीजों का प्लाज़्मा थेरेपी द्वारा सफलतापूर्वक उपचार किया जा रहा है. यहां वेंटिलेटर पर भर्ती मुजफ्फरपुर के एक चिकित्सक का प्लाज़्मा थेरेपी से 2 जुलाई को इलाज किया गया था. पटना एम्स में डॉ. नेहा सिंह के नेतृत्व में डॉ. सी.एम. सिंह, डॉ. नीरज अग्रवाल और डॉ. देवेंद्र ने प्लाज़्मा थेरेपी की. थेरेपी के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. संक्रमित चिकित्सक अब वेंटिलेटर पर नहीं हैं. और अब आईसीयू से भी बाहर आ गए हैं.

सफलता के पश्चात एम्स के चिकित्सकों ने अन्य मरीजों पर थेरेपी का प्रयोग करने का विचार किया. एम्स में आईसीयू में भर्ती 15 में से 10 मरीजों की केस हिस्टरी आईसीएमआर को भेजी गई तथा प्लाज्मा थेरेपी के लिए अनुमति मांगी गई. ICMR से अनुमति मिलने के बाद ही किसी मरीज को प्लाज़्मा चढ़ाया जा सकता है. अनुमति मिलने के पश्चात प्लाज्मा थेरेपी को पूरा किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है तथा अगले कुछ दिनों में पूरी तरह से ठीक होने की संभावना है..

चिकित्सकों के अनुसार प्लाज़्मा थेरेपी कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों के लिए वरदान है. कोरोना से ठीक हुआ कोई भी मरीज अपना प्लाज़्मा दान कर सकता है. ऐसा मरीज ठीक होने के 14-28 दिनों के अंदर अपना प्लाज़्मा दान कर सकता है. ICMR की गाइडलाइन के अनुसार व्यक्ति 500 एमएल प्लाज़्मा दान कर सकता है. दानकर्ता का एन्टी बॉडी टाइटर और कोरोना की जांच की जाती है. कोरोना रिपोर्ट के नेगेटिव और एन्टी बॉडी टाइटर 1000 से अधिक होने पर ही प्लाज़्मा लिया जाता है. दानकर्ता को मार्ग व्यय के तौर पर 500 रुपया भी दिया जाता है. प्लाज़्मा -20 डिग्री पर लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है. एक दानकर्ता से प्राप्त प्लाज्मा से 5 गंभीर मरीज स्वस्थ हो सकते हैं.

पटना एम्स में दीपक कुमार ने सबसे पहले अपना प्लाज़्मा दान किया था. पटना के खाजपुरा में रहने वाले 37 वर्षीय दीपक के परिवार में 4 लोग कोरोना से संक्रमित हुए थे. दीपक का प्लाज़्मा 6 जून को लिया गया था.

पटना एम्स के ब्लड बैंक की प्रमुख डॉ. नेहा सिंह प्लाज़्मा थेरेपी के बारे में जागरूकता लाने की आवश्यकता बताती हैं. ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्लाज़्मा दान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. इससे शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती. इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता. शरीर 2 से 3 दिनों में स्वयं प्लाज़्मा बना लेता है.

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