शिवपुरम के ग्रामीणों ने 27 नवंबर को एक असामान्य उत्सव आयोजित किया. गाँव में नागस्वरम के साथ भक्तों का एक बड़ा जुलूस निकला. अवसर था, कुंभकोणम के पास शिवपुरम के शिवगुरुनाथ स्वामी (शिव) मंदिर में ऐतिहासिक नटराज को वापस लाने के मुकदमे में जीत का अवसर. जिसके पश्चात 66 साल बाद मूर्ति को वापस मंदिर में लाया गया.
प्रत्यक्षदर्शियों ने इस घटना को हिन्दू पुनरुत्थान का एक उदाहरण बताया. उन दिनों मंदिर द्वारा इस पंचधातु मूर्ति को सफाई और रासायनिक उपचार के लिए एक शिल्पकार के पास भेजा गया, तो भारत से मूर्ति चोरी हो गई. मूर्ति को तस्करी के माध्यम से कनाडा पहुंच गई. मूर्ति को वापिस लाने की कानूनी लड़ाई में भारत सरकार को जीत मिली और नटराज की मूर्ति को एक कनाडाई कंपनी के स्वामित्व से वापिस लाया गया.
स्मरण योग्य है कि कैसे दिवंगत पुरातत्वविद् डॉ. आर. नागास्वामी ने मामले की बहस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मूर्ति को राज्य सरकार के तिरुवारूर आइडल चेस्ट में रखा गया था. भक्तों ने मूर्ति को पूजा के लिए सौंपने के लिए स्थानीय मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दायर की. याचिका को प्रशासन द्वारा स्वीकार कर लिया गया. शिवपुरम गांव ने उत्सव के बीच देवता का स्वागत किया. माना जाता है कि चोल युग की यह मूर्ति 11वीं शताब्दी के शक्तिशाली राजराज चोल की दादी सेम्बियन महादेवी ने मंदिर को उपहार में दी थी.