जम्मू कश्मीर. जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने रोशनी एक्ट पर उच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करने का फैसला किया है. जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने 9 अक्तूबर को रोशनी एक्ट को असंवैधानिक घोषित किया था. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को कहा कि इस योजना के तहत सभी कार्रवाई को रद्द करेगा और छह महीने के अंदर सारी जमीन को फिर से वापिस हासिल करेगा. साथ ही एक्ट के तहत लाभ लेने वाले प्रभावी लोगों सहित सभी लाभार्थियों के नाम सार्वजनिक होंगे. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की सहमति से कानून तथा संसदीय कार्य विभाग ने यह आदेश जारी किया है.
आधिकारिक बयान के अनुसार जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उच्च न्यायालय का आदेश लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें अदालत ने समय-समय पर संशोधित किये गए राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 को असंवैधानिक, कानून के विपरीत और अस्थिर करार दिया था. प्रशासन ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए कार्रवाई की जाएगी. सरकारी जमीन पर कब्जाधारकों से जमीन छुड़ाने की कार्ययोजना बनाने के साथ ही छह महीने के भीतर भूमि को वापिस हासिल किया जाएगा. साथ ही राजस्व विभाग साप्ताहिक आधार पर आदेश के तहत की गई कार्रवाई का ब्योरा सामान्य प्रशासन विभाग के साथ साझा करेगा. प्रमुख सचिव राजस्व विभाग एक जनवरी 2001 के आधार पर सरकारी जमीन का ब्यौरा एकत्र कर उसे वेबसाइट पर प्रदर्शित करेंगे.
साथ ही जमीन पर अवैध कब्जाधारकों के नाम भी सार्वजनिक करेंगे. इसमें रोशनी एक्ट के तहत आवेदन प्राप्त होने, जमीन का मूल्यांकन, लाभार्थी की ओर से जमा धनराशि, एक्ट के तहत पारित आदेश का भी ब्यौरा देना होगा. साथ ही यदि जमीन किसी के नाम हस्तांतरित की गई होगी तो उसका विवरण भी देने को कहा गया है. आदेश में पूर्व मंत्रियों, विधायकों, सरकारी कर्मचारी, पुलिस अफसरों, उद्योगपतियों, व्यापारियों सहित सभी प्रभावी लोगों के नाम भी सार्वजनिक करने को कहा गया है.
रोशनी एक्ट
रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था. इसके बदले उनसे एक निश्चित रकम ली जाती थी, जो सरकार की ओर से तय की जाती थी. साल 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने जब यह कानून लागू किया तो सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया था. लेकिन, समय के साथ जम्मू-कश्मीर की आने वाली सभी सरकारों ने इस कट ऑफ साल को बदलना शुरू कर दिया. इसके चलते राज्य में सरकारी अधिकारियों के चहेतों को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई गई है. योजना का उद्देश्य था कि जमीन के आवंटन से प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल राज्य में बिजली ढांचे को सुधारने में किया जाएगा. 28 नवंबर, 2018 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर सत्यपाल मलिक ने इस एक्ट को खत्म कर दिया था.