जम्मू कश्मीर. कश्मीर घाटी में इस्लामी आतंकी आज तक अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सके, उसके पीछे का कारण है खुशबू जान जैसे कश्मीरी देशभक्त. खुशबू जान एक ऐसा नाम, जिसने मौत के साये में रहते हुए आतंकियों से डट कर मुकाबला किया. देश की आन बान शान को कम नहीं होने दिया. देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी.
19 वर्षीय खुशबू जान ने आतंकियों और पत्थरबाजों का पूरी हिम्मत से मुकाबला किया. कश्मीर पुलिस में SPO के पद पर रहते हुए खुशबू जान ने देश की सुरक्षा के लिए तब तक लड़ाई लड़ी, जब तक कि खुशबू को आतंकियों ने गोली नहीं मार दी. कश्मीर घाटी के लिए खुशबू जान एक उदाहरण हैं.
बात 2016 की है, जब दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले के वेहिल गांव में एक ऑपरेशन चल रहा था. पत्थरबाज सुरक्षाबलों पर भारी पथराव कर रहे थे. इतना ही नहीं पत्थरबाजों ने खुशबू जान और उनके मजदूर पिता मंजूर अहमद भट्ट को भी पत्थरबाजी के लिए कई बार उकसाया. पर, काफी उकसाने के बाद भी खुशबू जान और उनके पिता पत्थरबाजी के लिए नहीं माने.
सुरक्षाबलों को पिलाया पानी तो आतंकियों ने जलाया घर
उसी ऑपरेशन के दौरान कुछ पुलिस वालों ने पीने के लिए जब पानी मांगा, तो खुशबू ने पुलिस वालों को पीने के लिए पानी दिया. लेकिन ये बात पत्थरबाजों को नागवार गुजरी. जब वहां से सुरक्षाबलों की टीम चली गई, तो पत्थरबाजों ने खुशबू जान के घर को आग के हवाले कर दिया. खुशबू की गलती मात्र यह थी कि उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को पीने के लिए पानी उपलब्ध करवाया था. उस आग में खुशबू का सब कुछ जलकर राख हो गया.
जब जम्मू कश्मीर पुलिस के स्थानीय अधिकारियों को घटना के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने मुआवजे के तौर पर खुशबू को कश्मीर पुलिस में SPO के पद पर तैनात कर दिया. उस दौरान खुशबू को स्पेशल पुलिस ऑफिसर होने के नाते 5 हजार रूपये प्रति माह मिलता था और उसी पैसे से खुशबू का घर चलता था. खुशबू अपनी नौकरी के साथ पढ़ाई भी करती थी ताकि आगे पढ़ लिखकर अधिकारी बन सके. साथ ही देश और अपने परिवार की सेवा कर सके.
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने खुश्बू को मारी गोली
हालांकि, यह पत्थरबाजों को पसंद नहीं आया और खुशबू का परिवार और खुशबू पत्थरबाजों के निशाने पर आ गए. बावजूद इसके खुशबू डरी नहीं, ना ही हिम्मत हारी. किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. 16 मार्च को वेहिल गांव में खुशबू के घर के सामने ही जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने खुशबू को गोली मार दी. इस घटना में खुशबू बलिदान हो गई. खुशबू जान के बलिदान को 3 साल हो गए. देश को ऐसी बेटी पर नाज है.