
पटना (विसंकें). गत एक सप्ताह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने दो अनमोल कार्यकर्ता खो दिए. सारण विभाग कार्यवाह 36 वर्षीय रजनीश कुमार जी ने 20 जुलाई को अंतिम सांस ली. वहीं मुजफ्फरपुर विभाग के बौद्धिक प्रमुख 63 वर्षीय विजय जी ने 18 जुलाई को अंतिम सांस ली. दो कार्यकर्ताओं का अचानक चले जाना अपूरणीय क्षति है.
विभाग कार्यवाह रजनीश जी की कार्यकर्ताओं में पहचान मिलनसार, सौम्य, सतत् सक्रिय रहने वाले कार्यकर्ता के रूप में थी. वे मूलतः उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले थे. पिता जी सरकारी सेवा में थे, तो छपरा में ही आवास बना लिया था. रजनीश जी यहीं संघ के संपर्क में आए, पहले स्वयंसेवक और फिर निष्ठावान कार्यकर्ता बने. विभिन्न दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया और वर्तमान में विभाग कार्यवाह के रूप में सक्रिय थे. कोरोना काल में भी निरंतर जनसेवा में लगे हुए थे. प्रवास के क्रम में ही कोरोना का संक्रमण हुआ.
उनकी इच्छा थी कि गृह जिला देवरिया (उत्तर प्रदेश) जाएं. 14 जुलाई को देवरिया गए. देवरिया से ही 18 जुलाई को दूरभाष पर सभी कार्यकर्ताओं से बातचीत हुई. अगले दिन 19 जुलाई को सांस लेने में परेशानी होने लगी, समस्या बढ़ने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया. लेकिन डॉक्टरों के प्रयास के बाद भी बचाया नहीं जा सका. उन्होंने 20 जुलाई को साढ़े बारह बजे अस्पताल में ही अंतिम सांस ली. कार्य की व्यस्तता के कारण प्रतिष्ठित दवा कम्पनी में एमआर का काम छोड़ दिया था. और जीविकोपार्जन के लिए छपरा के दर्शन नगर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में शिक्षक के रूप में नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी. लेकिन विधाता की नियति कुछ और थी. रजनीश जी अपने पीछे शोक संतप्त पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं.

मोटरसाइकिल और स्कूटर के स्पेयर पार्ट्स विक्रेता विजय जी कार्यकर्ताओं में अपनी बौद्धिक दक्षता के कारण जाने जाते थे. व्यवसाय, संघ कार्य और पारिवारिक दायित्व में गजब का साम्य बिठाते थे. ना तो कभी शाखा जाना छोड़ते और ना ही दुकान खोलना. सतत प्रवास करते थे. स्थूल शरीर सामाजिक कार्य में बाधक नहीं बना. संघ में कई दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया. मुजफ्फरपुर महानगर के कार्यवाह भी रहे. पिछले कुछ समय से कमजोरी की बात करते थे, लगभग 15 दिन पहले चक्कर आया. जांच कराने पर पता चला कि सोडियम का स्तर काफी कम हो गया है. अस्पताल में भर्ती किया गया. लेकिन डॉक्टरों का प्रयास सफल नहीं हो सका. 18 जुलाई को मुजफ्फरपुर में अंतिम सांस ली. पारिवारिक दायित्व से मुक्त विजय जी अपने पीछे एक पुत्र और दो पुत्री छोड़ गए हैं. पुत्र भी संघ कार्य में सक्रिय हैं और एक नगर के कार्यवाह हैं.