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साफिया जुबैर का वक्तव्य विघटनकारी शक्तियों की आंख खोलने के लिए पर्याप्त

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जयपुर. गत दिनों कांग्रेस विधायक साफिया जुबैर विधानसभा में दिए अपने एक वक्तव्य को लेकर चर्चा में रहीं. राजस्थान विधानसभा में शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कहा कि मेव भगवान राम और कृष्ण के वंशज हैं. पूजा पद्धति भले ही बदल जाए, लेकिन रगों में बहता खून वही रहता है, इसलिए मेवों को पिछड़ा नहीं, मेवा समझिए. साफिया का यह वक्तव्य देश की उन विघटनकारी शक्तियों की आंख खोलने के लिए पर्याप्त है जो चंद मुल्ला-मौलवियों की भड़काऊ तकरीरों के आगे कुछ सुनना या देखना ही नहीं चाहतीं.

साफिया जुबैर का वक्तव्य इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि विधानसभा में अलवर के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. यह क्षेत्र राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर स्थित मेवात के क्षेत्र का हिस्सा है, जहां मेव मुस्लिम समुदाय का बाहुल्य है. यह पूरा क्षेत्र लम्बे समय से राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मुस्लिम कट्टरपंथ का केन्द्र बना हुआ है और गोवध,  इस्लामिक मतांतरण, हिन्दू मंदिरों व पूजास्थलों को क्षति पहुंचाए जाने तथा साइबर अपराधों के गढ़ के रूप में कुख्यात है.

राजस्थान में मेवात का क्षेत्र अलवर और भरतपुर जिलों में है, जहां से तीन विधायक चुन कर आते हैं. तीनों मुस्लिम हैं. इनमें से एक साफिया स्वयं हैं, वहीं दो क्षेत्र भरतपुर में नगर और कामां हैं. नगर का प्रतिनिधित्व वाजिब अली करते हैं, वहीं कामां से जाहिदा खान विधायक हैं, जो वर्तमान में प्रदेश की शिक्षा राज्य मंत्री भी हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि इस पूरे क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता किस सीमा तक प्रभाव रखते हैं.

क्षेत्र की पृष्ठभूमि के साथ यह जान लेना भी आवश्यक है कि स्वयं साफिया जुबैर की पृष्ठभूमि क्या है. वे तेलंगाना में जन्मी हैं. उनके दादा चौधरी अब्दुल स्वतंत्रता सेनानी थे और उनके पिता मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना के अधिकारी रहे हैं. वे स्वयं विज्ञान में स्नातक हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जुबैर खान की पत्नी हैं. विधायक बनने से पहले अलवर की जिला प्रमुख भी रह चुकी हैं. यानि एक स्वतंत्रता सेनानी और सैनिक परिवार की परवरिश और विज्ञान की पढ़ाई ने उन्हें वो समझ दी है, जिसके चलते उन्होंने विधानसभा में इस तरह का वक्तव्य दिया. जिसमें उन्होंने मेवों को भगवान राम और कृष्ण का वंशज बताया और यहां तक कहा कि धर्म भले ही बदल जाए, लेकिन रगों में बहता खून नहीं बदलता.

विधानसभा में दिया गया वक्तव्य इस मायने में अहम है कि यह किसी जनसभा में दिया गया भाषण नहीं है, जहां सिर्फ लोगों को लुभाने या लोकप्रियता के लिए कई बार कुछ भी बोल दिया जाता है. विधानसभा में एक विधायक जब कुछ बोलता है तो वह पूरी जिम्मेदारी के साथ बोलता है और उसकी कही बात विधानसभा के रिकॉर्ड में दर्ज होती है, यानि लिखित इतिहास का हिस्सा बनती है.

यह पहला अवसर नहीं है, जब साफिया ने ऐसा कोई बयान दिया है. इससे पहले पिछले वर्ष श्रावण मास में सरकार के देवस्थान विभाग की ओर से शिव मंदिरों में करवाए गए सहस्रघट कार्यक्रम में उन्होंने भगवान शिव का अभिषेक किया था और स्वयं अपने ट्विटर हैंडल से इसका वीडियो शेयर भी किया था.

साफिया के वक्तव्य और देश की संस्कृति में उनकी आस्था से उन विघटनकारी शक्तियों को सबक लेना चाहिए जो यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि भारत मूल रूप से एक हिन्दू राष्ट्र है. यहां रहने वाले सभी लोग मूल रूप से हिन्दू है. आज वे किसी भी पूजा पद्धति का अनुसरण करें, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता. उन्हें अपने मौजूदा पंथ के पालन से कोई रोकता भी नहीं है. आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि वे अपने पंथ को मानते हुए अपनी जड़ों को पहचानें, उन जड़ों से जो संस्कृति निकली है, उसके साथ चलें और साफिया जुबैर की इस बात को ध्यान में रखें कि पंथ बदलने से रगों में बहता खून नहीं बदलता.

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