अगरतला. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जिसे सनातन जीवनशैली के संबंध में पूरी दुनिया के सामने उदाहरण स्थापित करने के लिए विकसित होना है. हम एकता और प्रेम में विश्वास करते हैं. संस्कृति, भाषा और पोशाक के मामले में मतभेद होने पर भी हम अंतर नहीं करते हैं. भारत ने असहाय और जरूरतमंदों के साथ खड़े होने का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.
हमारे यहाँ सब बातों में अपनापन देखने की प्रवृत्ति है. पेड़-पौधों, पशु-पक्षी सबमें अपनापन है. अपनापन देखने की प्रवृत्ति से दुनिया का भला होता है. अलगाव देखने की प्रवृत्ति से दुनिया में कलह होती है, शोषण होता है, अन्याय होता है, युद्ध होते हैं, पर्यावरण की हानि होती है. इसलिए सनातन धर्म की सबको अपना मानने की प्रवृत्ति की रक्षा के लिए भारत का निर्माण हुआ है.
सरसंघचालक शनिवार को त्रिपुरा के गोमती जिला के अमरपुर में नवनिर्मित शांतिकाली मंदिर के लोकार्पण अवसर पर संबोधित कर रहे थे. उद्घाटन समारोह में उनके साथ मंदिर के मुख्य महाराज चित्तरंजन महाराज उपस्थित थे. उन्होंने मंदिर के लोकार्पण अवसर पर आयोजित यज्ञ में भी भाग लिया. स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत हिंदी और कोकबोरोक के भजनों का आनंद लिया. साथ ही चित्तरंजन महाराज के कोकबोरोक भजनों के संकलन का विमोचन भी किया.
सरसंघचालक जी ने कहा कि भारत का सनातन धर्म सबको अपना मानता है और इसलिए पूजा किसी की कोई हो, उसको चिंता नहीं है. वो कभी कन्वर्जन नहीं करता क्योंकि उसको मालूम है कि सच्चे ह्वदय से सबको अपना मानकर कोई उपासना करता है तो जो भी उपासना करे, एक ही जगह पहुँचती है. हमको दुनिया को एकत्व के सत्य पर आधारित अपनत्व का धर्म देना है. विश्व का हर देश जब भी दिग्भ्रमित हुआ, लड़खड़ाया, सत्य की पहचान करने इस धरा के पास आया है. अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की आक्रामक अंतरराष्ट्रीय नीतियों के विपरीत, भारत को विश्व को “सहानुभूति” और “आत्मीयता” की अभिव्यक्ति के माध्यम से जीवन का सनातन तरीका सिखाना है.
उन्होंने कहा कि सुख-दुःख आते-जाते रहते हैं. लेकिन, अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए अथवा किसी भय से, या किसी लोभ से अपनी जान बचाने के लिए अपना धर्म मत छोड़ो. क्योंकि धर्म नित्य है, दुःख-सुख अनित्य हैं. शांतिकाली जी महाराज ने धर्म के लिए जीवन जिया, धर्म के लिए बलिदान हुए. संतों का कार्य समाज को मार्ग दिखाने का है, और भारत वर्ष में ऐसे अपने आचरण का उदाहरण रखने वाले अगणित व्यक्तित्व हैं.
कार्यक्रम में त्रिपुरा के उप मुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा, कृषि मंत्री प्रणजीत सिंह रॉय, केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक भी उपस्थित रहीं.
27 अगस्त को ही कुछ अराजक तत्वों ने शांतिकाली जी महाराज की हत्या कर दी थी. उनकी लोकप्रियता और लोगों के बीच प्रभाव जनजाति बहुल क्षेत्रों में ईसाई धर्म के प्रसार में बड़ी बाधा बन गया था.