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संघ से प्रेरित संगठनों ने सराहा केंद्रीय बजट; लघु उद्योगों-स्वदेशी, स्वावलंबन-प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित विविध संगठनों ने केंद्रीय बजट की सराहना की. बजट में हर वर्ग की चिंता की गई है. यह देश की अर्थव्यवथा को मजबूती प्रदान करने वाला है. लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष बलदेव भाई प्रजापति व अखिल भारतीय महामंत्री घनश्याम ओझा ने कहा कि यह बजट सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए काफी लाभकारी होगा. एमएसएमई को क्रेडिट गारंटी के तहत नौ हजार करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान स्वागत योग्य है. यह एमएसएमई से जुड़े लोगों को दो लाख करोड़ रुपये तक प्रत्याभूति मुक्त ऋण प्रदान करेगा. केवाईसी प्रक्रिया को सरल करने का प्रस्ताव भी सराहनीय है. पैन का उपयोग सामान्य पहचान पत्र के रूप में हो सकेगा. 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर खोलना कुशल कारीगर तैयार करने में सहायक होगा.

भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री रविंद्र हिमते ने कहा कि बजट में श्रम, किसान और छोटे उद्योग के विकास को उचित महत्व दिया गया है. स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठक कश्मीरी लाल ने बजट को संतुलित बताते हुए कहा कि यह स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाला है. मंच के दिल्ली प्रांत संयोजक विकास चौधरी ने कहा कि बजट में लिथियम बैटरी, देश में निर्मित मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स कम करने से निवेश बढ़ेगा और स्वदेशी कंपनियां भी इनके उत्पादन को प्रोत्साहित होंगी, जिससे सीधे तौर पर स्वदेशी के स्वावलंबी भारत अभियान को बल मिलेगा.

भारतीय किसान संघ के महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि सरकार ने बजट में खेती और किसानों के हित में कई दूरगामी कदम उठाए हैं. प्राकृतिक खेती, श्री अन्न की योजना, मछली पालन, बागवानी और गोवर्धन जैसे बहुत ही अच्छे दूरगामी परिणाम देने वाली योजना बजट में है. सहकारी व प्राथमिक मत्स्य समितियां और डेरी सहकारिता समितियों में निवेश से छोटे किसान और भूमिहीन किसान की आय वृद्वि होगी.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि टेक के विकास, कौशल विकास केंद्रित घोषणाएं तथा डिजिटल युग की आवश्यकताओं पर आम बजट की घोषणाएं निश्चित ही देश के अमृतकाल में नई दिशा देने वाली हैं. शिक्षा तथा युवाओं को नवाचारों तथा कौशल विकास से संबद्ध करने की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाना नितांत आवश्यक है. एकलव्य विद्यालयों से संबंधित पूर्व में किए गए अभाविप के आग्रहों को इस बजट में स्थान देने से सुदूर पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों के लिए उत्तम शिक्षा और विकास के द्वार खुले हैं.

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