नागपुर. विदर्भ सह प्रांत संघचालक चंद्रशेखर (बाबुजी) राठी ने कहा कि संघ प्रशिक्षण वर्ग में संघ की व्यापकता का अनुभव होता है तथा स्वयंसेवक अच्छे कार्यकर्ता बनने हेतु सिद्ध होते हैं. ये मात्र प्रशिक्षण वर्ग नहीं, अपितु साधना है क्योंकि साधना से सिद्धि की प्राप्ति होती है. वे 15 मई को, गोंदिया स्थित लिटल वुड्स शाला में आयोजित प्रथम वर्ष प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन अवसर संबोधित कर रहे थे. ३ जून तक चलने वाले प्रथम वर्ष प्रशिक्षण वर्ग का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ.
उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक दीप में लगी बाती के समान होना चाहिए. उसके भीतर जल रही ज्योति दीप से बाहर आकर विश्व को प्रकाशमान करती है. उसी प्रकार, अपने व्यवहार से संघ का दर्शन होना चाहिए. संघ सदैव विविध प्रशिक्षण के माध्यम से स्वयंसेवकों को सद्गुणों के संस्कार प्रदान करता है.
अपने वरिष्ठों के व्यवहार से संघ समझना सहज हो जाता है. दो वर्षों के बाद संघ का शताब्दी वर्ष है. समाज का ऋण चुकाने हेतु छात्र तथा व्यवसायी स्वयंसेवकों को संघ के लिए तीन से पांच वर्ष देने चाहिए, ऐसी अपेक्षा है. अपने जीवन में आने वाले मित्र तथा सज्जन शक्ति को संघ से जोड़ना हमारा कर्तव्य है. वर्तमान काल संघ के लिए अनुकूल है तथा संघ कार्य में शैथिल्य न लाते हुए दोगुनी गति से कार्य करने की आवश्यकता है.
उद्घाटन सत्र में प्रास्ताविक, वर्ग कार्यवाह दत्ताजी बहादुरे ने किया. प्रति वर्ष रामनवमी के अवसर पर वनवासी कल्याण आश्रम के लिए संघ स्वयंसेवकों द्वारा निधि संकलन किया जाता है. इस वर्ष 93,20,456 रुपये निधि संकलित की गई. यह निधि सह प्रांत संघचालक जी ने विदर्भ प्रांत वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं को सौंपी.
बीस दिन तक चलने वाले प्रशिक्षण वर्ग में विदर्भ प्रांत से 318 स्वयंसेवक सहभागी हो रहे हैं. अखिल भारतीय स्तर के कार्यकर्ता उनका मार्गदर्शन करेंगे.