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मध्यभारत प्रांत में संघ शिक्षा वर्ग प्रारंभ, 31 जिलों के 801 स्वयंसेवक शिक्षार्थी सहभागी

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भोपाल।  राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ, मध्यभारत प्रांत में स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के लिए तीन संघ शिक्षा वर्गों आयोजित किये गए हैं। इनमें मध्य भारत प्रान्त के संघ रचना के 31 जिलों के 801 स्वयंसेवक शामिल सहभागी हो रहे हैं। तरुण व्यवसायी कार्यकर्ताओं का वर्ग रायसेन,  महाविद्यालयीन विद्यार्थी कार्यकर्ताओं का वर्ग सिरोंज और 40 वर्ष से अधिक आयु के स्वयंसेवकों के लिए संघ शिक्षा वर्ग विशेष का आयोजन विदिशा में किया जा रहा है। संघ शिक्षा वर्ग में शामिल शिक्षार्थियों को शारीरिक, बौद्धिक, योग, सेवा, प्रबंधन और संघ कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त होगा। संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण का कार्य है। 15 दिन के वर्ग में युवा कठोर अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए अपने व्यक्तित्व को मजबूत करेंगे। इस दौरान स्वयंसेवक मोबाइल फ़ोन से भी पूरी तरह दूर रहते हैं। विदिशा के वर्ग में प्रान्त के 183 स्वयंसेवक, रायसेन में 235 एवं सिरोंज में आयोजित वर्ग में 383 शिक्षार्थी सहभागी है।

तीनों ही स्थानों पर संघ शिक्षा वर्ग 17 मई से प्रारंभ हो गए हैं, जिनका औपचारिक उद्घाटन 18 मई को किया गया। विदिशा के संघ शिक्षा वर्ग का उद्घाटन सर्वाधिकारी हरिश्चंद्र शर्मा और मध्य भारत प्रांत के प्रांत प्रचारक विमल गुप्ता ने भारत माता की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया। वहीं, रायसेन में सर्वाधिकारी अशोक कुशवाह, प्रान्त कार्यवाह हेमन्त सेठिया एवं सह प्रान्त कार्यवाह संतोष मीणा ने वर्ग का उद्घाटन किया। सिरोंज में महाविद्यालयीन विद्यार्थी संघ शिक्षा वर्ग का उद्घाटन वर्गाधिकारी प्रहलाद सबनानी, वर्ग कार्यवाह त्रिवेश लोधी, वर्ग पालक सुरेन्द्र सिंह एवं प्रान्त सह कार्यवाह विजय दीक्षित ने किया।

समाज परिवर्तन का केंद्र बने शाखा

विदिशा में उद्घाटन सत्र में प्रान्त प्रचारक विमल गुप्ता ने कहा कि हिन्दू जीवन चार आश्रमों पर आधारित है। जिनमें चौथा आश्रम संन्यास आश्रम है, जो व्यक्ति को मोक्ष की राह पर ले जाता है। वर्ग में आए हम सभी साधक हैं और अपनी साधना को सफल करने के लिए वर्ग में उपस्थित हुए हैं। साधना कठिनता से सफल होती है, जो कठिनाइयों में जी नहीं सकता, वह कभी साधक नहीं बन सकता है। हमें अपने जीवन में देश भक्ति वैराग्य हमेशा बनाकर रखना चाहिए। समाज में शाखा की भूमिका जागरण श्रेणी के माध्यम से स्पष्ट हो सके और शाखा समाज परिवर्तन का केंद्र बन सके, इसलिए हम वर्ग में प्रशिक्षण लेने आए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ग में स्वयंसेवकों को शाखा की सामाजिक भूमिका की संकल्पना की स्पष्टता, व्यवस्थापन का मूल तत्व (समय, व्यक्ति और कार्य) का प्रबंधन और संगठन की रीति-नीति का परिचय मिलेगा। वर्ग में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद हमारे जीवन में संघ संस्कार की अभिव्यक्ति का मानस बनाना चाहिए, समूह में काम करने का हमारा स्वभाव विकसित हो और संघ के वैचारिक अधिष्ठान हिन्दुत्व, राष्ट्रीयता की स्पष्टता भी होनी चाहिए।

सामूहिक जीवन को समझने का अवसर है वर्ग

रायसेन में सह प्रांत कार्यवाह संतोष मीणा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से प्रतिवर्ष अपने कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन किया जाता है। संघ शिक्षा वर्ग में हमें मन की साधना, स्व-अनुशासन, त्यागपूर्ण जीवन, सामूहिक जीवन के सामंजस्य को सीखते हुए विविध प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त करना है। यहाँ हमें सामूहिक जीवन को व्यापक संदर्भ में समझने का अवसर मिलता है। वर्ग में हमें स्वयं के लिए कठोर अनुशासन का पालन करना और अपनी सुविधा से पहले सह-शिक्षार्थियों की सुविधा का ध्यान रखना है।

बौद्धिक क्षमता बढ़ाते हैं वर्ग

सिरोंज में सह प्रान्त कार्यवाह विजय दीक्षित ने कहा कि संघ शिक्षा वर्ग में हम विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, जिससे हमें संघ कार्य की स्पष्ट मिलती है। शारीरिक दृष्टि से सक्षम होने के लिए तो जिम भी है, किन्तु बौद्धिक दृष्टि से सक्षम होने के लिए कोई जिम नहीं होता। यह वर्ग कार्यकर्ता की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक को सांस्कृतिक एवं सामाजिक योद्धा बनना पड़ेगा और उसके लिए भारत को जानो, भारत की मानो और भारत के बनो।

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