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विभाजन, आतंकवाद के दौरान राहत कार्य में सक्रिय रहा संघ

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संघ पंजाब की दुश्मन जमात है ! विधानसभा में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का बयान क्या उनकी अज्ञानता का प्रतीक है? विधानसभा में एक गैर राजनीतिक राष्ट्रीय संगठन के लिए संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसे शब्दों का प्रयोग करना क्या उचित है? वह भी तब, जबकि उनके कथन का जवाब देने के लिए उनका कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं है. हिन्दू समाज सीएम के बयान को तथ्यात्मक भूल समझ कर चुप बैठ जाएगा, बेशक नहीं.

बुधवार 11 नवंबर को विधानसभा के दूसरे व आखिरी दिन के सत्र में शिअद को घेरने के लिए सीएम चन्नी ने अपने बयान में संघ यानि आरएसएस को पंजाब में स्थापित करने के लिए शिअद को जिम्मेदार ठहराया और आरएसएस को पंजाब की दुश्मन जमात करार दे दिया. उस वक्त विधानसभा लाईव चल रही थी और सब कुछ रिकार्ड हो रहा था. अब चन्नी ने अगर भूल की तो सुधारने का कोई मौका नहीं है और जानबूझ कर संघ को बदनाम करने का कांग्रेस का एजेंडा चलाया तो आगामी विधानसभा चुनाव जवाब देने के लिए सामने खड़ा है. दुश्मन जमात की संज्ञा दिए जाने के बाद से हिन्दू और राष्ट्रीय विचार के संगठनों के भीतर जबरदस्त गुस्सा है.

मीडिया द्वारा पूछे जाने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सह प्रांत संघचालक डॉ. रजनीश अरोड़ा ने कहा कि यह बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है. देश के विभाजन के वक्त संघ के स्वयंसेवक भारी संख्या में पंजाब में मौजूद थे और विभाजन के वक्त हिन्दुओं व सिक्खों की सुरक्षा, संरक्षा और विस्थापन रोकने में सहयोग कर रहे थे. 1952 में जनसंघ की स्थापना हुई और वह पूरे देश में चुनाव लड़ता रहा. ऐसे बयान देने वालों को इतिहास की जानकारी नहीं है.

पंजाब प्रांत प्रचार प्रमुख शशांक जी ने कहा कि आरएसएस को दुश्मन जमात कहने से पहले उन्हें तथ्यों को परख लेना चाहिए था. लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकते. आरएसएस कोई पार्टी नहीं है. इसलिए विधानसभा में उन्हें जवाब देने के लिए कोई नहीं था. विधानसभा में इस तरह का बयान देना सही जगह नहीं थी. रहा सवाल दुश्मन जमात का तो उन्हें सिक्ख होने के नाते खुशवंत सिंह की पुस्तक ए ट्रेन टू पाकिस्तान, श्रीधर पराडकर तथा माणिक चंद्र वाजपेयी की पुस्तक ज्योति जला निज प्राण की को पढ़ना चाहिए था. जिसमें संघ की पंजाब में गतिविधियों और कार्यों को विस्तार से बताया गया है.

कुलदीप नैय्यर ने भी अपनी किताबों में जिक्र किया है. संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरु जी को लोकसभा में उनकी ही पार्टी की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी ने श्रद्धांजलि दी थी. कांग्रेस ने ही वीर सावरकर के नाम पर डाक टिकट जारी किया और अब आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस में ऐसे बयान देना फैशन बन गया है.

देश विभाजन के दौरान विभिन्न राज्यों से आकर संघ के स्वयंसेवकों ने पंजाब की जनता की सेवा की. आतंकवाद के दौरान हिन्दुओं का पलायन रोकने में योगदान दिया.

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