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संथाल परगना बना चैंपियन, केरल उपविजेता और झारखण्ड को तीसरा स्थान

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रायपुर, 31 दिसम्बर 2024.

रायपुर में आयोजित 24वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगिता का समापन हो गया. समापन समारोह के दौरान फुटबॉल के फाइनल मैच में संथाल परगना ने केरल को पेनल्टी शूट आउट में एक के मुकाबले चार गोलों से हराकर चैंपियन की ट्रॉफी जीती. केरल की टीम उपविजेता रही, झारखण्ड की टीम ने तीसरा स्थान प्राप्त किया.

प्रतियोगिता में फुटबॉल और तीरंदाजी के खेलों में लगभग 600 जनजातीय बालक-बालिकाओं ने हिस्सा लिया. अण्डमान-निकोबार से लेकर पूरे देश के लगभग 30 प्रांतों से जनजातीय खिलाड़ी शामिल हुए. पड़ोसी देश नेपाल से भी खिलाड़ियों के एक दल ने तीरंदाजी प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया. छत्तीसगढ़ के वन मंत्री एवं स्वागत समिति के अध्यक्ष केदार कश्यप और खेल, युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा ने कोटा स्टेडियम पहुंचकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया.

उन्होंने सभी खिलाड़ियों से परिचय किया और बेहतरीन खेल दिखाने के लिए सभी का हौसला बढ़ाया. समापन समारोह में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह, अखिल भारतीय खेल-कूद प्रमुख फूल सिंह लेप्चा, राष्ट्रीय महामंत्री योगेश बापट, सहित अन्य कार्यकर्ता पदाधिकारी उपस्थित रहे.

वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित 24वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगिता के समापन समारोह में राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग ने कहा कि यह प्रतियोगिता 1991 से अनवरत आयोजित होती आ रही है. यह प्रतियोगिता विशुद्ध रूप से जनजातीय खिलाड़ियों की सहभागिता वाली विश्व की सबसे बड़ी प्रतियोगिता है. इससे पहले भोपाल में आयोजित प्रतियोगिता में केवल तीरंदाजी प्रतिस्पर्धा में ही 316 जनजातीय तीरंदाजों ने हिस्सा लिया था और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया था. यह आयोजन केवल मेडल जीतने या खेल खेलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आयोजन खिलाड़ियों में राष्ट्रीय एकता की भावना और हम सबके एक होने के भाव को जगाने वाला है. उन्होंने खिलाड़ियों से आग्रह किया कि हमेशा कड़ी मेहनत करें, खेल से जुड़े रहें और लगातार अभ्यास करें ताकि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकें.

वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एच के नागु ने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि खेलों की ना तो कोई भाषा है, ना ही कोई सीमा. खेल प्रतिभा ही खिलाड़ी की पहचान है. शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ खेल जीवन संघर्ष के लिए भी हमें तैयार करते हैं. उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा जनजातीय खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. उन्होंने सभी विजेताओं को शुभकानाएं दी.

प्रतियोगिता में फुटबॉल के 22 मैच कोटा स्टेडियम और यूनिवर्सिटी खेल मैदान पर खेले गए. जनजातीय खिलाड़ियों ने 122 गोल दागकर अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया. खेल के प्रति खिलाड़ियों का समर्पण और उनकी कुशलता इसी से सिद्ध होती है कि पूरी प्रतियोगिता में 9 मैचों का परिणाम टाई ब्रेकर या पेनाल्टी शूट से हुआ. संथाल परगना ने चैंपियन्स ट्रॉफी जीती और केरल उपविजेता रहा. संथाल परगना के गोल कीपर विनय कुण्डू ने फाइनल मैच में पेनाल्टी शूट के 4 गोल बचाकर सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर का मेडल प्राप्त किया, संथाल परगना के ही खिलाड़ी विमल मराण्डी मेन ऑफ द टूर्नामेंट रहे. फाइनल मैच में केरल के खिलाड़ी अभिनंद को मेन ऑफ द मैच घोषित किया गया.

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