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समस्याओं को जानने एवं समाधान की दिशा में एसडीजी सम्मेलन कारगर पहल – फग्गन सिंह कुलस्ते

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अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की समसामयिक अनुशंसाओं को क्रियान्वयन हेतु केंद्र एवं राज्य सरकारों को भेजने का निर्णय

चित्रकूट. संयुक्त राष्ट्र के धारणीय विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए दीनदयाल शोध संस्थान के तत्वाधान में चित्रकूट में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन रविवार को समसामयिक अनुशंसाओं के साथ हुआ. अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विमर्श के दौरान प्राप्त सुझावों को संकलित कर यूनाइटेड नेशन एजेंसियों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों एवं सतत विकास लक्ष्यों के व्यावहारिक कार्य में लगी संस्थाओं और शोध संस्थाओं को क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. इस विषय पर आम सहमति बनी कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का डॉक्यूमेंट भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों सहित केंद्र एवं राज्य सरकार के सचिवों को भी उपलब्ध कराया जाए.

भारत सरकार के इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के मुख्य आतिथ्य में सम्मेलन संपन्न हुआ.

समापन सत्र के शुरुआत में ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों एवं कुछ अन्य प्रतिभागियों को केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते एवं चार शीर्ष प्रशासकों ने आशीर्वाद दिया और प्रमाण पत्र प्रदान किया. इस दौरान यूएन के एक से लेकर 8 तक के लक्ष्यों पर आयोजित तकनीकी सत्रों में प्रतिभागी स्कॉलर्स छात्र-छात्राओं एवं प्रगतिशील कृषकों ने अभिमत रखा.

मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख ने 90 के दशक में चित्रकूट आकर गांव में रहने वाली आबादी के समग्र विकास को लेकर जो चिंतन और आयोजन सुनिश्चित किया था, लगभग उसी के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषित सतत विकास के लक्ष्यों को पाने चित्रकूट में 3 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय विमर्श का आयोजन सराहनीय और अतुल्य प्रयास है. नाना जी की संकल्पना के आधार पर दीनदयाल शोध संस्थान समस्याओं को जानने और समाधान को पाने के लिए अभिनव प्रयोग कर रहा है.

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कार्य किए जाते हैं, आपसी सामंजस्य के अभाव में योजनाओं के क्रियान्वयन में व्यावहारिक कठिनाइयां भी आती हैं. विकास कार्यों में अनेक अवरोधक खड़े हो जाते हैं. इनसे निजात पाने के लिए आवश्यक है कि दीनदयाल शोध संस्थान के आयोजन की भांति अन्य कार्यक्रम संपन्न हो. केंद्र सरकार की एक जिला एक उत्पाद, मेक इन इंडिया, महिला सशक्तिकरण, आयुष्मान भारत, स्वयं सहायता समूह, जनधन योजना, मनरेगा, बैंकिंग, जलवायु संतुलन, आईटी एजुकेशन, रूलर डेवलपमेंट, एग्रीकल्चर आदि योजनाओं के लाभों को बताते हुए सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप बताया.

पूर्व पीएस दीपक खांडेकर ने सम्मेलन की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे ऐसा आयोजन पहली बार देखने को मिला है, जब समस्या अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा खड़ी की जाती है और समाधान गांव वाले देते हैं. नए प्रकार का यह प्रयोग दीनदयाल शोध संस्थान ने करके अनूठी पहल की है.

डीआरआई के उपाध्यक्ष उत्तम बनर्जी ने कहा कि फील्ड में काम करने वाले श्रमिकों और किसानों के अपने अनुभव को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रखकर विमर्श में भागीदारी बनाने की परिकल्पना से सतत विकास का स्थायी मार्ग सुनिश्चित हो सकेगा.

सतना के कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि 3 दिनों के इस विचार विमर्श के दौरान सतत विकास के लक्ष्यों को पाने में आने वाली कठिनाइयों के समाधान का सरल मार्ग खोजा गया है. उन्होंने दीनदयाल शोध संस्थान के स्तरीय आयोजन की सराहना की.

सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट जानकीकुंड के ट्रस्टी एवं निदेशक डॉ. वीके जैन ने चित्रकूट के महत्व को बताते हुए कहा कि नाना जी ने जिन लक्ष्यों को लेकर चित्रकूट विकास का अनूठा मॉडल खड़ा किया है, उसे उसी रूप में दीनदयाल शोध संस्थान की कार्यकर्ता टीम पूरी निष्ठा के साथ क्रियान्वित कर रही है. भगवान राम के चित्रकूट आने से चित्रकूट का गौरव बढ़ा था, उसी को सततता प्रदान करने में नाना जी एवं रणछोड़ दास जी महाराज के योगदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता.

आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉ. आरसी अग्रवाल ने सतत विकास के लक्ष्यों को पाने में गांव और कृषि के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, पंचायती राज के क्षेत्र में इनोवेशन को महत्व देना चाहिए.

सम्मेलन के संयोजक वसंत पंडित ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सतत विकास लक्ष्यों में एकात्म मानव दर्शन का बोध होता है.

सत्र के अंत में दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

चित्रकूट में संपन्न तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन की विशेषता यह रही कि इस तरह का यह पहला मंच रहा, जिसमें यूएन के सतत् विकास के अनुकरणीय, मापनीय, धारणीय नमूनों पर एक साथ हितग्राहियों, सामुदायिक संगठनों, सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों सहित विभिन्न देशों में इन लक्ष्यों पर काम कर रहे अनुभवी विशेषज्ञों के बीच विचार-विनिमय हुआ, तथा ऐसे समाधानों एवं हस्तक्षेपों के सर्वोत्तम प्रारूप विकसित करने की दिशा में यह सम्मेलन कारगर साबित होगा.

 

एसडीजी के 17 लक्ष्य

गरीबी की पूर्णतः समाप्ति, भुखमरी की समाप्ति, अच्छा स्वास्थ्य और जीवनस्तर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी और स्वच्छता, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, अच्छा काम और आर्थिक विकास, उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा का विकास, असमानता में कमी, टिकाऊ शहरी और सामुदायिक विकास, जिम्मेदारी के साथ उपभोग और उत्पाद, जलवायु परिवर्तन, पानी में जीवन, भूमि पर जीवन, शांति और न्याय के लिए संस्थान और लक्ष्य प्राप्ति में सामूहिक साझेदार.

दीनदयाल शोध संस्थान के महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ठ ने संचालन के दौरान बताया कि इन 17 लक्ष्यों में से एक से लेकर 8 तक के लक्ष्यों पर चित्रकूट में गहन मंथन हुआ है, इसके बाद आने वाले दिनों में क्रियान्वयन की दिशा में कदम होगा.

एसडीजी के अंतर्गत विभिन्न लक्ष्यों को प्रतिपादित एवं प्रदर्शित करते हुए विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी लगाई गई थी. प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय एवं दिल्ली प्रदेशों ने प्रतिभाग किया. साथ ही मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के 40 कृषि विज्ञान केंद्र, यूपी के 16 केवीके, मेघालय के 6 केवीके ने गरीबी गुणवत्ता युक्त शिक्षा, मूल्य संवर्धन को प्रदर्शित करते हुए प्रदर्शनी एवं मॉडल लगाए.

प्रदर्शनी में 8 विश्वविद्यालयों ने भी प्रतिभाग किया. जिनमें महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, एकेएस विश्वविद्यालय सतना, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा, चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय इंफाल एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर सहित उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के शासकीय एवं गैर शासकीय विभागों ने अपने-अपने मॉडल एवं विकास के योगदान पर किए जा रहे कार्यों को प्रस्तुत किया.

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