नई दिल्ली. एनआईए ने लश्कर-ए-तैयबा के भगोड़े आतंकी सलमान रहमान खान को गुरुवार को रवांडा से भारत प्रत्यर्पित कर लिया. एनआईए और सीबीआई के समन्वित प्रयासों से इंटरपोल और रवांडा जांच ब्यूरो (आरआईबी) की सहायता से सलमान को 27 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था. वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और हथियार सप्लाई करने का मुख्य आरोपी है.
बेंगलुरु की एनआईए स्पेशल कोर्ट ने सलमान के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. एनआईए के अनुसार, सलमान जेल में रहते हुए कट्टरपंथी बना और लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य बन गया. आतंकी टी. नसीर (जो जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था) ने उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. सलमान ने बेंगलुरु में आतंकी गतिविधियों के लिए विस्फोटक जुटाने और वितरण में मदद की थी. उसके खिलाफ शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम और आतंकवादी साजिश से संबंधित कई मामले दर्ज हैं.
सलमान को किगाली में भारतीय अधिकारियों के अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया. वह वहां पर अपनी पहचान छिपाकर एक दुकान चला रहा था. भारत से मिली जानकारी के बाद रवांडा की जांच ब्यूरो ने सितंबर की शुरुआत में उसे हिरासत में लिया था. रवांडा और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है, लेकिन पारस्परिकता के सिद्धांत पर उसे भारत को सौंपा गया.
आतंकी गतिविधियों में सलमान की भूमिका
सलमान रहमान खान भारत में आतंकी मॉड्यूल को सक्रिय करने, विस्फोटक सामग्री सप्लाई करने और आतंकवादी साजिश रचने में शामिल था. वह बेंगलुरु में लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मुख्य भूमिका निभा रहा था. एनआईए के अनुसार, सलमान पोक्सो मामले में 2018-2022 तक जेल में बंद था, जहां उसने कट्टरपंथ का रास्ता अपनाया. जेल से छूटने के बाद वह आतंकी साजिश का हिस्सा बना और देश छोड़कर रवांडा भाग गया.
प्रत्यर्पण में इंटरपोल का योगदान
एनआईए के अनुरोध पर इंटरपोल ने सलमान के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था. इसके बाद सीबीआई ने इंटरपोल के किगाली स्थित नेशनल सेंट्रल ब्यूरो से समन्वय किया. सीबीआई ने बताया कि भारत ने 2021 से अब तक 100 से अधिक वांछित अपराधियों को इंटरपोल के जरिए प्रत्यर्पित किया है.