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रांची, झारखंड। सुरक्षा बलों को आज नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में बड़ी सफलता मिली। सुरक्षा बलों ने बोकारो जिले में ललपनिया के लुगू पहाड़ी क्षेत्र में सोमवार सुबह नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। सुबह करीब 4 बजे सीआरपीएफ की कोबरा 209 बटालियन और झारखंड पुलिस की संयुक्त टीम सर्च ऑपरेशन पर थी। इसी दौरान जंगल में छिपे नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई में आठ नक्सलियों को मार गिराया। मुठभेड़ सुबह साढ़े पांच बजे शुरू हुई और दिन चढ़ने तक रुक-रुक कर गोलीबारी जारी रही।
मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में एक करोड़ रुपये का इनामी माओवादी कमांडर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक शामिल है। वह भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा में 100 से अधिक नक्सली घटनाओं में वांछित था। अन्य मारे गए नक्सलियों में 25 लाख के इनामी अरविंद यादव और 10 लाख का इनामी साहेब राम मांझी भी शामिल है। मुठभेड़ स्थल से चार इंसास राइफल, एक एसएलआर, एक रिवॉल्वर और अन्य सामग्री बरामद हुई।
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ी सफलता बताया। उन्होंने कहा कि चाईबासा में एक जवान की शहादत के बाद सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को कड़ा जवाब दिया। नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी, अन्यथा उन्हें मारा जाएगा। दावा किया कि झारखंड जल्द ही नक्सल मुक्त हो जाएगा।
वर्ष 2025 झारखंड में 13 नक्सली मारे जा चुके हैं। 2024 में पुलिस ने 244 नक्सलियों को गिरफ्तार किया और 24 ने आत्मसमर्पण किया था। लुगू और झुमरा पहाड़ लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ रहे हैं, सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई से उनका नेटवर्क कमजोर हो रहा है।
80 के दशक में नक्सलवाद में कदम रखने वाला प्रयाग मांझी मूल रूप से धनबाद जिले के टुंडी थाना क्षेत्र के दलबुढ़ा गांव का रहने वाला था। वह सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं था। उसका कार्य क्षेत्र झारखंड के गिरिडीह, बोकारो, लातेहार और बिहार, बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ था। इन सभी जगहों पर वह नक्सली गतिविधियों में शामिल था। उसके खिलाफ सिर्फ गिरिडीह में ही 50 से ज्यादा मामले दर्ज थे।