नई दिल्ली. भारत विश्व में रक्षा उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है और विभिन्न देशों से रक्षा उत्पादों की खरीद करता है. लेकिन पिछले कुछ समय में भारत सरकार ने नीति में परिवर्तन कर रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना का लक्ष्य रखा है, इसके साथ ही रक्षा उत्पादों के निर्यात की ओर भी प्रयास शुरू किए हैं. इसका परिणाम यह है कि अब कई देश भारत से छोटे हथियार खरीदने लगे हैं. इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल, तेजस व अन्य उत्पादों के निर्यात में भी सफलता मिल रही है. आने वाले समय में निर्यात में बढ़ोतरी होगी.
रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयुध फैक्टरियों द्वारा इजरायल, स्वीडन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्राजील, बांग्लादेश, बुलगारिया आदि देशों को हथियारों की बिक्री की जा रही है. यूएई ने सर्वाधिक खरीद की है. इसके अलावा फ्रांस सहित यूरोप के कुछ देशों एवं अमेरिका को भी हथियारों की बिक्री के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
आयुध फैक्टरियों के लिए इन देशों को हथियारों की बिक्री फायदे का सौदा साबित हो रही है. इन देशों को सबसे ज्यादा 155 एम.एम. की तोपें बेची गई हैं जो डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई हैं तथा आयुध फैक्टरियों द्वारा निर्मित की जा रही हैं. भारत इजरायल, स्वीडन, यूएई सहित कई देशों के हथियारों का खरीददार रहा है.
रक्षा उत्पादों के लिए कुछ प्रमुख निर्यात देश अल्जीरिया, अफगानिस्तान, इजराइल, इक्वाडोर, रूस, यूके, इंडोनेशिया, नेपाल, ओमान, रोमानिया, बेल्जियम, वियतनाम, म्यांमार, दक्षिण कोरिया और सूडान हैं. निर्यात की जा रही प्रमुख रक्षा मदों में वैयक्तिक संरक्षी अपतटीय गश्ती जलयान, रडार के लिए कलपुर्जे, चीतल हेलीकॉप्टर, टरबो चार्जर एवं बटरियां, इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियां (इओपीओडी एएलएच प्रणाली), लाइट इंजीनियरिंग मेकैनिकल कलपुर्जे इत्यादि हैं.
मंत्रालय के अनुसार मौजूदा समय में आयुध फैक्टरियों के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि वह अपना कुल आय का एक चौथाई राजस्व निर्यात से हासिल करें. इसके लिए आयुध फैक्टरियों को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है तथा निर्माण में ऑटोमेशन को बढ़ाया जा रहा है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनके द्वारा निर्मित हथियारों की मांग में इजाफा होगा.
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से भारत ने कुछ उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध भी लगाया है. सरकार ने रक्षा उत्पादन एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति-2020 तैयार की है. जिसके तहत वर्ष 2025 तक एरोस्पेस एवं रक्षा साजोसामान एवं सेवाओं के क्षेत्र में 35,000 करोड़ (5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ (25 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का टर्नओवर हासिल करने का लक्ष्य रखा है.