नई दिल्ली. कोरोना संकट और सीमा पर विवाद की स्थिति के बीच भारत सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर निरंतर आगे कदम बढ़ा रहा है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने आत्मनिर्भर भारत और ‘मेड इन इंडिया’ अभियान के तहत परमाणु और पारंपरिक मिसाइलों के विकास को तेजी से उत्पादन करने का प्रयास किया है. डीआरडीओ ने करीब एक महीने में हर चौथे दिन में एक मिसाइल दागी है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पीछे हटने के लिए चीन के इनकार की पृष्ठभूमि के खिलाफ डीआरडीओ की तैयारी को दर्शाता है. पिछले 35 दिनों में रक्षा अनुसंधान संगठन द्वारा दसवीं मिसाइल परीक्षण किया जाने वाला है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) अगले सप्ताह के प्रारंभ में 800 किलोमीटर रेंज की निर्भय सब-सोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण करेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना और नौसेना में शामिल करने की औपचारिक शुरुआत से पहले रॉकेट बूस्टर मिसाइल को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
भारत ने स्वदेशी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफलतापूर्वक परीक्षण सात सितंबर को किया. अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन गया है. देश में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए यह परीक्षण एक बड़ी सफलता है.
हालांकि भारत के पास ब्रह्मोस जैसी उन्नत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पहले से ही है, जिसके दूसरे संस्करण का भी बीते दिनों परीक्षण हो चुका है. क्रूज मिसाइल की विशेषता है कि यह कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भर सकती है और राडार से बच सकती है. ब्रह्मोस को जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानि कहीं से भी दागा जा सकता है. यही नहीं इस मिसाइल को पारंपरिक प्रक्षेपक के अलावा ऊर्ध्वगामी वर्टकिल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है. क्रूज मिसाइलों का टारगेट या तो पहले से तय रहता है या फिर वे खुद लोकेट करती हैं. ये मिसाइलें सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक स्पीड से चल सकती हैं.
‘निर्भय’ मिसाइल
‘निर्भय’ – एक हजार किलोमीटर दूरी तक मार करने में सक्षम है. यह बिना भटके अपने निशाने पर अचूक वार करती है. यह दो चरणों वाली मिसाइल है. पहली बार में लंबवत और दूसरे चरण में क्षैतिज. यह पहले पारंपरिक रॉकेट की तरह सीधा आकाश में जाती है और फिर दूसरे चरण में क्षैतिज उड़ान भरने के लिए 90 डिग्री का मोड़ लेती है. इस तरह यह अपने लक्ष्य को निशाना बनाती है.
निर्भय मिसाइल को डीआरडीओ ने पूर्णतया अपने दम पर बनाया है. इस मिसाइल में धीमी गति से आगे बढ़ने, बेहतरीन नियंत्रण एवं दिशा-निर्देशन, सटीक परिणाम देने तथा राडारों से बच निकलने की क्षमता है. यह सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल एडवांस्ड सिस्टम लैबोरेटरी (एएसएल) द्वारा विकसित की गई है.
सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली ‘स्मार्ट’ का सफल परीक्षण किया
भारत ने इसी महीने पांच अक्तूबर को ओडिशा अपतटीय क्षेत्र स्थित एक परीक्षण केंद्र से देश में विकसित ‘सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो’ (स्मार्ट) प्रणाली का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. ‘स्मार्ट’ प्रणाली पनडुब्बी विध्वंसक अभियानों के लिए हल्के वजन की टॉरपीडो प्रणाली है. परीक्षण और प्रदर्शन पनडुब्बी रोधी क्षमता स्थापित करने में काफी महत्वपूर्ण है.
विकिरण रोधी मिसाइल रुद्रम-1 का सफल परीक्षण किया
भारत ने शुक्रवार (नौ अक्तूबर) को भारतीय वायु सेना के एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से नई पीढ़ी की एक विकिरण रोधी मिसाइल का सफल परीक्षण किया जो लंबी दूरी से विविध प्रकार के शत्रु राडारों, वायु रक्षा प्रणालियों और संचार नेटवर्कों को ध्वस्त कर सकती है. अधिकारियों ने कहा कि मिसाइल रुद्रम-1, भारत की पहली स्वदेश निर्मित विकिरण रोधी शस्त्र प्रणाली है.
मैक टू या ध्वनि की गति से दोगुनी रफ्तार वाली मिसाइल में 250 किलोमीटर तक के दायरे में विविध प्रकार की शत्रु राडार प्रणालियों, संचार नेटवर्कों और वायु रक्षा प्रणालियों को मार गिराने की क्षमता है.