सिर पर अपनी छत, ये सपना आंखों में लिए कितने निर्धन परिवार अवैध झुग्गियों में पूरा जीवन बिता देते हैं. कुछ को तो वो भी नसीब नहीं होता. सर्दी, गर्मी, बरसात, फुटपाथ पर बीत जाती है. केरल के छोटे से गांव इरिनजलकुडा में रहने वाला शमशाद भी इन्हीं में से एक था. अपाहिज माता-पिता के साथ किसी तरह एक किराए के कमरे में गुजारा करने वाले शमशाद ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वो कभी अपने खुद के घर में रह सकेगा. आज उसके पास अपनी जमीन है व अपना घर भी होगा. ऐसे ही 24 परिवारों को अपनी छत मिली, सेवा भारती इरिनजलकुडा की टीम के अथक प्रयासों से.
यह किसी परी कथा का अंश नहीं, बल्कि वास्तविकता है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के अथक प्रयासों से संभव हो सकी. इसे तब आकार मिला, जब सेवाभारती इरिनजलकुडा के स्वयंसेवकों की टीम एक स्थानीय सफल व्यवसायी पीडिककट्टूपरम्बिल सुन्दरम् के पास सेवाकार्यों के लिए कुछ डोनेशन के लिए मिलने गई. कुछ देर की बातचीत के बाद कुछ ऐसा हुआ, जिससे सब हैरान रह गए. सुन्दरम् जी ने कहा कि वह अपनी 21,777 स्कवायर फीट भूमि, जिसका बाजार भाव लगभग 75 लाख रूपये था, संघ के माध्यम से निर्धन विकलांगों को मकान बनाने के लिए दान देना चाहते हैं. बस यहीं से इस विचार को पंख लग गए.
सुन्दरम् जी से प्रभावित हो नजदीक की ही मुरियाद पंचायत की एक धनी विधवा महिला वनाजा इन्दावन ने भी अपनी 48 लाख कीमत की 19,600 सक्वायर फीट भूमि संघ के माध्यम से जरूरतमंदों को दान करने की इच्छा व्यक्त की.
केरल में सेवाभारती इरिनजलकुडा के सचिव पी. हरिदास की मानें तो इस भूमिदान से उनकी टीम के लिए सेवा का नया क्षेत्र खुला. खासे परिश्रम के पश्चात ऐसे 24 गरीब विकलांग लोगों को चुना गया, जिनके पास अपना मकान नहीं था. अन्ततः एक समारोह आयोजित कर सुंदरम जी व वनावा इंदावन की उपस्थिति में मलयाली सिने स्टार और राज्य सभा सांसद सुरेश गोपी ने इन भाग्यशाली 24 चयनित लोगों को 3.10 सेंट (1348 sq.ft) क्षेत्रफल के एक समान डिमॉर्कड प्लॉटों की टाईटल डीड प्रदान की, जिसके अनुसार जमीन पाने वाला भूखंड को अगले दस वर्षों तक किसी अन्य व्यक्ति को ना ही हस्तांतरित कर सकता है, और ना ही बेच सकता है. यह यात्रा यहीं नहीं रुकी, अब स्वयंसेवकों ने इस जमीन पर घर बनाकर देने के लिए धन जुटाना शुरू कर दिया. स्वयंसेवकों की एक पूरी समर्पित टीम, धन जुटाने हेतु विभन्न सरकारी योजनाओं और कॉरपोरेट सेक्टर सहित तमाम दानशील व्यक्तियों से सम्पर्क कर रही है.
वर्ष 2007 में सरकारी अस्पताल में मरीजों और जरूरतमंदों को खाना खिलाने से आरंभ हुई ‘सेवाभारती इरिनजलकुडा‘ ने महज़ कुछ ही वर्षों में संस्थापक स्वयंसेवक पी. हरिदास, पी.एम. शंकरन और ए.एस. सातीसन के कुशल संचालन में वह कर दिखाया जो हजारों लागों के जीवन को एक नई ऊर्जा दे रहा है. वर्तमान में ‘सेवाभारती इरिनजलकुडा‘ द्वारा संगमेश्वरा वानप्रस्थाआश्रमम के नाम से एक ओल्ड एज होम, सेवाश्रया निलायम के नाम से मानसिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए एक डे-केयर सेन्टर, राउंड द क्लॉक एम्बुलेन्स सर्विस और फ्रीजर सेवा का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है.