अप्रैल माह में तीन बड़े एनकाउंटर में 52 माओवादी आतंकी ढेर, चार माह में 91 माओवादियों का सफाया
रायपुर (छत्तीसगढ़).
छत्तीसगढ़ में माओवादी आतंकियों पर काल का साया मंडरा रहा है. माओवादी सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं. परिणामस्वरूप, सुरक्षा बलों ने 15 दिन के भीतर ही दूसरा बड़ा एनकाउंटर किया है. मंगलवार (30 अप्रैल, 2024) को माओवादियों की मांद में घुसकर सुरक्षा बल के जवानों ने ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसके बाद पहले से ही बैकफुट पर बैठे माओवादियों के हौसले पूरी तरह से पस्त हो गए हैं.
नारायणपुर जिले में सुरक्षा बल के जवानों द्वारा किए ऑपरेशन में 10 माओवादी ढेर किए गए हैं, जिसमें 3 महिला माओवादी भी शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अबूझमाड़ के क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों की शिनाख्त भी हो गई है, जिसमें जोगन्ना और विनय जैसे खूंखार इनामी माओवादी भी शामिल हैं. अबूझमाड़ के टेकमेटा और काकुर गांव के क्षेत्र में स्थित जंगल में हुई मुठभेड़ के बाद जवानों ने मारे गए माओवादी आतंकियों के शव सहित कुछ हथियार, एके-47, और विस्फोटक बरामद किए हैं.
माओवादियों के बड़े गढ़ में से एक अबूझमाड़ के क्षेत्र में यह मुठभेड़ माओवादियों के ढहते किले की निशानी है.
मुठभेड़ को लेकर बस्तर आईजी का भी कहना है कि लगभग चार घंटे तक चले ऑपरेशन में जवानों को बड़ी सफलता हाथ लगी है.
दरअसल, जिस तरीके से छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा की सरकार बनते ही माओवादियों के विरुद्ध ताबड़तोड़ ऑपरेशन शुरू हुए, उससे यह प्रतीत होता है कि अब माओवादी आतंक छत्तीसगढ़ से जल्द ही समाप्त होने वाला है.
नक्सल ऑपरेशन में माओवादियों के मारे जाने की बात करें तो केवल अप्रैल माह में ही 50 अधिक माओवादी मारे जा चुके हैं. अगर हम वर्ष 2024 की बात करें तो शुरुआती 4 माह में 91 माओवादी आतंकी ढेर हुए हैं. ये सभी माओवादी बस्तर क्षेत्र में मारे गए हैं.
“इन माओवादियों के पास से भारी मात्रा में बंदूक, हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है. माओवादियों के विरुद्ध चल रहे आक्रामक अभियान के चलते अब माओवादी संगठन बौखलाया हुआ है.”
सुरक्षाबलों की मुस्तैदी, आक्रामक अभियान और माओवादियों को ढेर करने की रणनीति के बाद अब माओवादियों के सभी षड्यंत्र ना सिर्फ विफल हो रहे हैं, बल्कि मुठभेड़ों में माओवादी ढेर भी हो रहे हैं.
अभी शुरुआती 4 महीनों के जो आंकड़े सामने आये हैं, उनसे यह समझा जा सकता है कि पूर्व की सरकार यदि चाहती तो माओवादियों के विरुद्ध सख्त एक्शन ले सकती थी, लेकिन उसने ना सिर्फ एक्शन लेने में ढिलाई बरती, बल्कि माओवादियों का परोक्ष रूप से समर्थन भी किया.
बड़ा उदाहरण अप्रैल में के तीनों मुठभेड़ हैं, जिसमें पहले 2 अप्रैल को 13 माओवादियों को ढेर किया गया, फिर 16 अप्रैल को 29 माओवादी मारे गए और अब 30 अप्रैल को 10 माओवादी ढेर हुए हैं.
गौरतलब है कि 16 अप्रैल, 2024 की मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को मिली सफलता अब तक माओवादियों के विरुद्ध मिली सबसे बड़ी थी, जिसने ना सिर्फ माओवादी संगठन को बल्कि अर्बन नक्सल समूह को भी बड़ा झटका दिया था.
अब जिस तरीके से माओवादियों का खात्मा किया जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि बस्तर जल्द ही लाल आतंक से मुक्त होने वाला है. जहां अब ‘लाल सलाम’ नहीं, बल्कि ‘दंतेश्वरी माता’ और ‘सोनदई माता’ के नाम के ही जयकारे लगेंगे.