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“राष्ट्रीय शिक्षा नीति” के समयबद्ध क्रियान्वयन हेतु शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने शिक्षाविदों की राष्ट्रीय समिति का गठन किया

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभावी एवं समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने देश के शीर्ष शिक्षाविदों की एक राष्ट्रीय समिति का गठन किया है. प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. विजय भाटकर की अध्यक्षता में समिति का गठन हुआ है. डॉ. भूषण पटवर्धन, समिति के सलाहकार की भूमिका में रहेंगे तथा न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी संरक्षक रहेंगे. वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. पंकज मित्तल, शोध विशेषज्ञ प्रो. वी. के. मल्होत्रा, ऑनलाइन एवं दूरस्थ विशेषज्ञ प्रो. नागेश्वर राव, तकनीकी शिक्षा से डॉ. प्रमोद कुमार जैन, प्रबंधन शिक्षा हेतु प्रो. शैलेन्द्र राज मेहता, कृषि विशेषज्ञ के रूप में डॉ. आर. सी. अग्रवाल, समावेशी शिक्षा के विशेषज्ञ प्रो. टी. वी. कट्टीमनी, विख्यात संस्कृत विद्वान डॉ. चांद किरण सलूजा, चैन्नई से प्रो. एस. पी. त्यागराजन, कौशल शिक्षा विशेषज्ञ प्रो. राज नेहरू, मूल्य शिक्षा से प्रो. अजय कुमार सिंह एवं भाषा विद्वान प्रो. विजयकांत दास को समिति के सदस्य नियुक्त किये गये है. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के कार्यकर्ता एडवर्ड मेंढ़े को समिति का समन्वयक बनाया गया है.

समिति का गठन ऑनलाइन बैठक में किया गया. डॉ. पंकज मित्तल के अनुसार यह समिति नई शिक्षा नीति के समयबद्ध क्रियान्वयन हेतु कार्ययोजना तैयार कर नीति के क्रियान्वयन हेतु सरकार, शैक्षिक संस्थानों को सुझाव देगी और सहयोग भी करेगी. समिति द्वारा तैयार की गयी योजना में अन्य शिक्षाविदों के सुझावों का भी समावेश किया जाएगा.

समिति की बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. विजय भाटकर ने कहा कि स्वतंत्रता के पश्चात देश में नीतियां तो बनाई गयी, किंतु उनका क्रियान्वयन पक्ष हमेशा कमजोर रहा. नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु निश्चित कार्ययोजना, समय सीमा एवं सभी के उत्तरदायित्व तय किये जाने चाहिए.

डॉ. भूषण पटवर्धन ने कहा कि नीति के चरणबद्ध क्रियान्वयन पर लक्ष्य केन्द्रित करना होगा. केन्द्र सरकार द्वारा नीति के क्रियान्वयन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वायत्त समिति के गठन की आवश्यकता है.

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि शिक्षा नीति के क्रियान्वय हेतु केन्द्र, राज्य, विश्वविद्यालय व शैक्षणिक संस्थानों के स्तर पर समितियां बनाने तथा नीति में कोई महत्वपूर्ण बात छूटी है तो उसको क्रियान्वयन योजना में जोड़ने की आवश्यकता है. विषयानुसार भी समितियां गठित की जा सकती हैं. आशा व्यक्त की कि इस पूरी प्रक्रिया से देश के शिक्षा जगत में चिंतन-मंथन द्वारा एक सकारात्मक अकादमिक वातावरण निर्माण हो सकेगा.

इसी के साथ-साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान विषय पर विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षाविदों तथा बुद्धिजीवियों के साथ ऑनलाइन विचार-मंथन किया गया. चर्चा की अध्यक्षता करते हुए छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत उनके विश्वविद्यालय द्वारा ‘आत्मनिर्भर कानपुर अभियान’ की शुरूआत की गयी है. विश्वविद्यालय और उद्यमियों के संयुक्त प्रयास से कानपुर को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ चले हैं. अभी तक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर 2500 से अधिक युवाओं और छात्रों ने पंजीकरण कराया है.

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के कुलपति प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा ने स्थानीय उद्योगों को विश्वविद्यालय से जोड़ने पर जोर दिया. गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नवीन सेठ ने बताया कि उनके संस्थान के छात्रों द्वारा अनेक स्टार्टअप शुरू किये गए हैं, जिनके द्वारा बड़ी संख्या में पेटेंट भी पंजीकृत करवाए गए हैं. इस अवसर पर विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी अपने विचार साझा किये .

 

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