नई दिल्ली. गलवान में हिंसक झड़प के पश्चात चीन के बहिष्कार का अभियान सा चल पड़ा है. सरकार के साथ ही उद्योग जगत, व्यापारी वर्ग व आम जनता झटके पर झटके दे रही है. साथ ही विकल्प की तलाश भी शुरू कर दी है.
पिछले कुछ दिनों में भारत की इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री ने चीनी कंपनियों के ऑर्डर बड़े लेवल पर रद्द (Indian companies cancelling order from china) करना शुरू कर दिया है. तथा इन ऑर्डर्स के लिए नए विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है. ये कंपनियां मुख्य रूप से पावर डिस्ट्रिब्यूशन और ट्रांसमिशन गियर के ऑर्डर रद्द कर रही हैं और दूसरे देशों से अधिक कीमत होने के बावजूद ये सारा सामान मंगवा रही हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वोकल फॉर लोकल के आह्वान के बाद इंडस्ट्री ने प्रयास प्रारंभ किया था. वर्तमान में पावर गियर के आयात पर लगे तमाम प्रतिबंधों के चलते मुहिम को और बल मिला है, लेकिन इंडस्ट्री ये भी सुनिश्चित करना चाहती है कि इसकी वजह से सप्लाई ना रुके.
Indian Electrical & Electronics Manufacturers Association यानि IEEMA के प्रेसिडेंट आरके चुघ ने कहा कि अब तक इंडस्ट्री में कच्चा माल, असेंबली का सामान और काफी सारा बना बनाया सामान भी चीन से ही मंगाया जाता था. IEEMA के डायरेक्टर जनरल सुनील मिश्रा ने कहा कि इंडस्ट्री अब विकल्प की तलाश कर रही है, ताकि चीन से सामान की सप्लाई को रोका जा सके.
आरके चुघ ने कहा कि ‘जब तक हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हो जाते, तब तक इन सामानों के लिए भरोसेमंद और दोस्ताना रवैये वाले देशों जैसे जापान, ताइवान, कोरिया और जर्मनी की ओर रुख किया जा सकता है. सॉफ्टवेयर का आयात यूरोप से किया जा सकता है और तमाम कच्चे माल के लिए रूस, चेक रिपब्लिक या पोलैंड का रुख किया जा सकता है. हमारे सदस्यों ने मांग के लिए अन्य देशों का रुख करना भी शुरू कर दिया है.’