उदयपुर, 22 मार्च. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि सामाजिक समरसता, स्वदेशी, मातृभाषा, सज्जन शक्ति और विमर्श इन पांच बिन्दुओं को हर व्यक्ति घर-व्यवहार में शामिल कर ले तो समाज का उत्थान निश्चित है. वह बुधवार सायंकाल बीएन विश्वविद्यालय मैदान में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव में स्वयंसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि सामाजिक भेदभाव समाज के उत्थान में सबसे बड़ा रोड़ा है, इसे मिटाना है. स्वदेशी अपनाने से हमारे ही समाज के हुनर को प्रोत्साहन मिलता है. हस्ताक्षर भी मातृभाषा में करने का आह्वान करते हुए कहा कि भाषा संरक्षण और संवर्धन से ही संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन होगा. उन्होंने कहा कि समाज की सज्जन शक्ति संगठित होगी तो नकारात्मक विचारों के लिए स्थान ही नहीं बचेगा. इसी तरह उन्होंने किसी भी विषय पर विमर्श की आदत को भी स्वयं और घर-परिवार में उतारने की आवश्यकता बताई.
वर्ष प्रतिपदा उत्सव पर कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सृष्टि के आरंभ का दिवस माना जाता है. प्राचीन भारतीय कालगणना की शुद्धता को कोई चुनौती नहीं है. कोई भी राजा अपने नाम का सम्वत तभी चला सकता था, जब उसके साम्राज्य में कोई भी व्यक्ति कर्जदार न हो. यह भी शास्त्रोक्त है और इसकी पुष्टि के बाद ही भारतीय संत समाज की प्राचीन प्रणाली किसी राजा को उसके नाम का सम्वत प्रारंभ करने की अनुमति देती थी.
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने जहां से छोड़ा, वहां से डॉ. हेडगेवार ने समाज को संगठित करने का कार्य शुरू किया. प्रारंभ से एक ही ध्येय दिया, समाज के उत्थान के लिए स्वयंसेवक हर प्रयत्न करेगा. संघ का कार्य सर्वव्यापी सर्वस्पर्शी है. संघ किसी की ओर अंगुली नहीं खड़ी करता. सभी को साथ लेकर चलना संघ की रीति है. संघ का स्वयंसेवक संघ की सूचना का पालन करता है.
निम्बाराम ने कहा कि अभी हम अमृत काल में चल रहे हैं. संघ के 100 वर्ष पूरे होने को हैं और आजादी के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इस अमृत काल में हर व्यक्ति, हर समाज में स्व के भाव को जगाना है. अपनी संस्कृति और अपने गौरवशाली इतिहास के प्रति स्वाभिमान के भाव को जगाना है. संघ 2025 में अपना शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है. संघ ने शताब्दी वर्ष में स्वयंसेवकों से केवल समय मांगा है. संघ स्थान अर्थात नियमित शाखा हमारी साधना स्थली है. वर्षों की इसी साधना से आज हम समाज में परिवर्तन होता देख रहे हैं. संघ समाजोत्सव की तरफ बढ़ रहा है और समाजोत्सवों का विशाल स्वरूप ही संघ की साधना का प्रतिफल कहा जा सकता है.
उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि इस प्रतिस्पर्धी युग में समय का समर्पण बढ़ाना होगा. सावधानियां भी रखनी होंगी. तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने वालों से सावधान रहकर सही तथ्यों को प्रस्तुत करना होगा. नकारात्मक विचार वाले सज्जन शक्ति के बढ़ते प्रभाव से बेचैन हैं, इसलिए भारत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. अब अर्बन नक्सल के नाम पर हिन्दू को भ्रमित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे विचार आगे चल कर स्वयंसेवकों को भी भ्रमित कर आपस में लड़ाने का कार्य कर सकते हैं, इनसे सावधान रहना होगा. सत्ता के बल पर संघ कभी बड़ा नहीं हुआ. समाज के संगठन के लिए संघ में जीवन खपे हैं, न डरेंगे न झुकेंगे, ये ताश का महल नहीं जो भरभरा कर ढह जाए.
आरंभ में, मुख्य अतिथि अस्थल आश्रम के महंत रास बिहारी शरण, मुख्य वक्ता क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, विभाग संघचालक हेमेन्द्र श्रीमाली, महानगर संघचालक गोविन्द अग्रवाल ने संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए और आद्य सरसंघचालक प्रणाम हुआ.
कार्यक्रम में अवतरण व काव्यगीत ‘हे भरत भूमि के दिव्य पुरुष’ की भी प्रस्तुति भी हुई. वर्ष प्रतिपदा उत्सव में स्वयंसेवक संघ की गणवेश में उपस्थित हुए.