नई दिल्ली. अंतरिक्ष में सफलता के झंडे गाड़ने वाली करनाल की बेटी कल्पना चावला आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए दुनिया आज भी उनको याद करती है. कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला थीं, जिन्होंने अंतरिक्ष में कदम रखा था.
अब उनके नाम के साथ एक और उपलब्धि जुड़ी है. नॉर्थरोप ग्रुमैन एयरोस्पेस कंपनी ने अपने री-सप्लाई एयरक्राफ्ट का नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा है. नॉर्थरोप ग्रुमैन एयरोस्पेस कंपनी नासा के इंटरनेशनल स्पेस सेंटर को सप्लाई पहुंचाने के लिए सप्लाई एयरक्राफ्ट भेजती है. अभी तक वो 13 बार ऐसा कर चुकी है और अब 14वीं उड़ान भरने जा रहे सिग्नस एनजी-14 को कल्पना चावला नाम दिया गया है. सिग्नस एयरक्राफ्ट की इस तरह के मिशन में तीसरी उड़ान होगी. एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमैन कॉर्पोरेशन ने सिग्नस स्पेसक्राफ्ट को कल्पना चावला का नाम दिया है.
ये एक अलग तरह का एयरक्राफ्ट है, जिसका मुख्य काम रिफ्यूलिंग का होगा. ये अंतरिक्ष यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में छोड़ा जाएगा. इसकी लॉंचिंग 29 सितंबर को नासा के केंद्र से की जाएगी. कल्पना चावला भारत में जन्मी और पढ़ी लिखी थी. जिन्होंने 1988 में नासा ज्वॉइन कर लिया. उन्होंने 19 नवंबर, 1997 को अपना पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू किया था. साल 2003 में अपना मिशन पूरा करके लौटते समय उनकी मौत हो गई थी. दरअसल, उन्हें लेकर आ रहा कोलंबिया स्पेस शटल दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. हरियाणा के करनाल में पैदा हुईं कल्पना चावला 16 जनवरी, 2003 को स्पेस में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं. उस मिशन को समझने वाले एक्सपर्ट्स आज उस पल को कोसते हैं, जब उस फोम को एक सामान्य सा टुकड़ा समझकर नजरअंदाज कर दिया गया था. इसकी वजह से शटल धरती पर वापस लौटते वक्त ब्लास्ट हो गया था और दुनिया ने कल्पना चावला सहित 7 काबिल ऐस्ट्रोनॉट्स खो दिए.